
गुरुग्राम, 16 जुलाई – हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में गुरुग्राम में आयोजित कष्ट निवारण समिति की बैठक को लेकर समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने तीखा हमला बोला। उन्होंने बैठक को महज़ “ढोंग” करार देते हुए पूछा कि क्या अब भी सरकार को टूटी सड़कों और भ्रष्टाचार नहीं दिखता?
गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि “हर बार बैठक होती है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कुछ नहीं होता। जिन सड़कों को कुछ महीने पहले भाजपा शासनकाल में बनाया गया था, वे इस बरसात में धंसने और टूटने लगी हैं। क्या यह खुला भ्रष्टाचार सरकार को नहीं दिखता?”
सड़कों की हालत बदतर, समाधान नदारद

समाजसेवी ने बताया कि मदनपुरी, बसई रोड, पटौदी चौक से बसई चौक तक की सड़कें पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं। सेक्टर-9 की सड़क, जो पिछले वर्ष बनी थी, अब पूरी तरह उखड़ चुकी है। “जब सरकार मरम्मत के लिए टेंडर निकाले तो काम पूरा क्यों नहीं होता?”, उन्होंने सवाल उठाया।
गुरिंदरजीत सिंह ने मुख्यमंत्री को चुनौती दी कि वे एक बार स्वयं कॉलोनियों का दौरा कर देखें कि जनता किन हालात में जी रही है। “यहाँ न सिर्फ जलभराव की समस्या है, बल्कि मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। हर बारिश के साथ हालात और बिगड़ते हैं।”
सरकारी दावे बनाम हकीकत
उन्होंने बताया कि नगर निगम ने 50 से अधिक कॉलोनियों और सेक्टरों की सड़कों की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपये का बजट घोषित किया था। सेक्टर-23, 23ए, 21, 41, 42, 45, मालिबू टाउन, ग्रीनवुड सिटी जैसी कॉलोनियों के साथ-साथ गाड़ौली, सरस्वती एंक्लेव, नाहरपुर रूपा और धुमसपुर गांवों में मरम्मत होनी थी। मगर ज़मीनी सच्चाई यह है कि काम शुरू ही नहीं हुआ।
“कौन लेगा जिम्मेदारी?”
गुरिंदरजीत सिंह ने पूछा कि मुख्यमंत्री द्वारा 16 जून से पहले सड़क मरम्मत का निर्देश देने के बावजूद लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? उन्होंने कहा कि सेक्टर-4-7, 5, 9, 9ए, 10, 10ए, 15, 37, 39, 40, 45, 46, 47, 55, 56, 57 सहित पुराने गुरुग्राम की सड़कों की हालत बेहद खराब है, लेकिन न तो कोई निरीक्षण किया गया और न ही इन क्षेत्रों को लेकर कोई चर्चा हुई।
नई सड़कें भी धंस रही, ठेकेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं?

उन्होंने दो टूक कहा कि अगर सरकार वाकई भ्रष्टाचार के खिलाफ है, तो द्वारका एक्सप्रेसवे, एसपीआर, सोहना एलिवेटेड रोड जैसी हालिया बनी सड़कों के धंसने और टूटने के लिए ज़िम्मेदार ठेकेदारों और इंजीनियरों को दंडित क्यों नहीं किया गया? “ऐसे ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट और जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाता?”, उन्होंने प्रशासन से पूछा।
“अब बातें नहीं, कार्रवाई चाहिए”
गुरिंदरजीत सिंह ने कष्ट निवारण समिति के प्रमुखों को चेताते हुए कहा कि अब मीटिंगों और दावों का दौर खत्म होना चाहिए। “अब बातों से नहीं, ज़मीनी काम से दिखे बदलाव। आम जनता टूटी सड़कों से परेशान है, और सरकार को जवाब देना होगा।”