— प्रमोद कौशिक, कुरुक्षेत्र

श्रावण मास की शिवरात्रि इस वर्ष 23 जुलाई को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाएगी। हार्मनी ऑकल्ट वास्तु जोन के अध्यक्ष एवं श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के पीठाधीश ज्योतिषाचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा के अनुसार, श्रावण शिवरात्रि को अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा का विधान है।

डॉ. मिश्रा ने बताया कि वर्ष में एक महाशिवरात्रि के अतिरिक्त 11 मासिक शिवरात्रियां होती हैं। मासिक शिवरात्रि प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। विशेषकर सावन माह की शिवरात्रि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होती है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा करते हैं।

पंचांगानुसार शिवरात्रि तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 23 जुलाई 2025 को सुबह 4:39 बजे से होगी आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन राशि के चंद्रमा में होगी और यह तिथि अगले दिन 24 जुलाई को रात 2:28 बजे तक रहेगी। सूर्य उदय तिथि के अनुसार सावन शिवरात्रि का व्रत 23 जुलाई, बुधवार को रखा जाएगा।

पूजन के विशेष मुहूर्त:

  • प्रदोष काल: शाम 7:17 बजे से रात 9:53 बजे तक
  • दूसरा प्रहर: रात 9:53 से 12:28 बजे तक
  • तीसरा प्रहर: रात 12:28 से 3:03 बजे तक
  • निशिता काल: 12:07 से 12:48 बजे तक
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:15 से 4:56 बजे तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 2:44 से 3:39 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 7:17 से 7:38 बजे तक

व्रत एवं पूजन विधि:
श्रावण शिवरात्रि के दिन व्रती को दिनभर निराहार रहकर मन, वचन और कर्म से पवित्र रहना चाहिए।
पूजन के समय शुद्ध आसन पर बैठकर आचमन और यज्ञोपवित धारण कर शरीर की शुद्धि करें। पूजन-सामग्री सुसज्जित कर रक्षादीप जलाएं और ‘स्वस्ति-पाठ’ करें:
‘स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः… स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु।’

इसके बाद भगवान गणेश, माता पार्वती, नंदीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय (स्त्रियाँ पूजन न करें), एवं नागों का संक्षिप्त पूजन करें।
बिल्वपत्र एवं अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें और चार प्रहर की पूजा विधिपूर्वक करें। हर प्रहर के साथ मंत्र जाप की मात्रा बढ़ाएं।

शिवरात्रि पर करें ये विशेष मंत्र जाप:

  • “ॐ शिवाय नमः”
  • “ॐ रिम सांब सदा शिवाय नमः”
  • “ॐ ईशानाय नमः”
  • “ॐ तत्पुरुषाय नमः”

डॉ. मिश्रा ने सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि शिवरात्रि पर निंदा, ईर्ष्या व द्वेष से दूर रहकर संपूर्ण विश्व की मंगलकामना करें और यदि किसी सद्गुरु से ओंकार दीक्षा प्राप्त हो तो ध्यानाभ्यास भी अवश्य करें।

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