श्रावण मास की यह अमावस्या प्रकृति और पितरों की आराधना का उत्तम अवसर

कुरुक्षेत्र, 23 जुलाई (प्रमोद कौशिक): हार्मनी ऑकल्ट वास्तु जोन के अध्यक्ष एवं श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के पीठाधीश आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने कहा है कि श्रावण मास की अमावस्या, जिसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है, भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और यह दिन आध्यात्मिक साधना, प्रकृति आराधना और पितृ पूजन के लिए विशेष महत्व रखता है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि इस बार हरियाली अमावस्या 24 जुलाई, गुरुवार को पड़ रही है, जो सावन शिवरात्रि के दूसरे दिन होगी। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करने से विशेष पुण्य मिलता है। साथ ही, पितरों की आराधना, संतों व ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र व दक्षिणा दान करना परम कल्याणकारी होता है।
कल्याणकारी उपायों की सलाह देते हुए डॉ. मिश्रा ने कहा कि निजी कष्टों से मुक्ति हेतु इस दिन मछलियों को आटे की गोलियाँ व चींटियों को चीनी अथवा सूखा आटा खिलाना शुभ माना जाता है। संध्या के समय घर के ईशान कोण में घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है तथा दरिद्रता का नाश होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक विशेष फलदायी होता है। शिव आराधना से समस्त पाप और संतापों से मुक्ति मिलती है। परिवार में वंश वृद्धि और सुख-शांति हेतु माता-पिता व बुजुर्गों की सेवा तथा फलदार या छायादार वृक्ष लगाकर उसकी देखभाल करना भी अत्यंत शुभ होता है।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि यह दिन प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का समय है। सावन की हरियाली और वातावरण की पवित्रता इस पर्व को विशेष बनाती है। उन्होंने श्रद्धालुओं से इस अवसर को आध्यात्मिक जागरण और प्रकृति संरक्षण के रूप में मनाने का आह्वान किया।