‘लोकतंत्र सेनानी’ की आड़ में हरियाणा सरकार संघी कार्यकर्ताओं को बाँट रही है जनता का धन – ग्रामीण भारत संस्था के अध्यक्ष का आरोप

चंडीगढ़/रेवाड़ी, 25 जुलाई 2025 | स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा की भाजपा सरकार पर करारा हमला बोलते हुए उसे लोकतंत्र और संविधान के साथ क्रूर मज़ाक करने वाला करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आपातकाल के दौरान माफ़ी माँग कर जेल से छूटे संघ और भाजपा से जुड़े कार्यकर्ताओं को ‘लोकतंत्र सेनानी’ घोषित कर सरकारी खजाने से पेंशन और विशेष सुविधाएँ देना सत्ता का खुला दुरुपयोग है।
“माफी माँगकर छूटे लोग सेनानी कैसे?”
विद्रोही ने कहा, “आपातकाल के दौरान कुछ महीनों के लिए जेल में रहने के बाद कांग्रेस सरकार से लिखित माफ़ी माँगकर और आपातकाल का समर्थन कर जेल से छूटने वाले संघियों को आज ‘लोकतंत्र सेनानी’ बताना, असली स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का अपमान है।”
उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार पिछले दस वर्षों से ऐसे तथाकथित लोकतंत्र सेनानियों को हर महीने 20 से 30 हजार रुपये पेंशन और अन्य सरकारी सुविधाएं प्रदान कर रही है, जबकि इनमें से अधिकांश ने न तो कोई बड़ा संघर्ष किया और न ही लोकतंत्र की रक्षा के लिए कोई दीर्घकालिक त्याग।
मुख्य आरोप –
- आपातकाल में लिखित समर्थन देकर जेल से छूटने वालों को राजकीय सम्मान देना सत्ता का दुरुपयोग।
- वास्तविक स्वतंत्रता सेनानियों की बराबरी में खड़ा करना दुर्भाग्यपूर्ण और लोकतंत्र का मजाक।
- संघियों को राजनीतिक लाभ पहुंचाने के लिए जनता के पैसे का दुरुपयोग।
“क्या आज देश में अघोषित आपातकाल नहीं?”
वेदप्रकाश विद्रोही ने भाजपा पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस पार्टी ने आपातकाल के नाम पर दशकों तक राजनीति की है, वही आज अघोषित आपातकाल थोप चुकी है।
“जब चुनाव आयोग निष्पक्षता छोड़कर सत्ता के इशारों पर काम करने लगे, जब ईडी, सीबीआई और आयकर जैसी संस्थाएं विपक्ष को डराने का औजार बन जाएँ, जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश हो – तो इसे लोकतंत्र नहीं, फासिज्म कहा जाएगा।”
उन्होंने कहा कि आज भारत में संवैधानिक संस्थाओं की निष्क्रियता और न्यायपालिका की चुप्पी ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को खोखला कर दिया है।
“संघी फासिज्म की आहट स्पष्ट है”
विद्रोही ने कहा, “जो भी भाजपा, मोदी या संघ के विचारों से असहमत होता है, उसे सत्ता बल से कुचला जा रहा है। ये हालात आपातकाल से कहीं अधिक भयावह हैं। संघी फासिज्म पूरे देश पर थोपा जा रहा है। और अगर जनता अब भी नहीं चेती, तो लोकतंत्र और संविधान सिर्फ शो-पीस बनकर रह जाएंगे।”
अपील: “देश का नागरिक अब चुप न रहे”
वेदप्रकाश विद्रोही ने अंत में देश के नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि “अब समय आ गया है कि देश का नागरिक जागे, सच को पहचाने और इस लोकतंत्र विरोधी षड्यंत्र के विरुद्ध खड़ा हो। वरना भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को सिर्फ किताबों में लोकतंत्र पढ़ने को मिलेगा, ज़मीनी सच्चाई में नहीं।”
विशेष टिप्पणी:
वेदप्रकाश विद्रोही का यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र और हरियाणा सरकार दोनों ही विपक्ष के आरोपों के घेरे में हैं। यह बयान लोकतंत्र बनाम सत्ता के नाम पर चल रही बहस में एक नया विमर्श जोड़ता है।