हरियाणा में शराब ठेकों की नीलामी में ₹1000 करोड़ का घोटाला – पवन बंसल का सीएम नायब सैनी से जवाब तलब
गुरुग्राम | वरिष्ठ पत्रकार पवन कुमार बंसल, जो ‘गुस्ताख़ी माफ़’ नामक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल का संचालन करते हैं, ने हरियाणा सरकार की शराब ठेकों की नीलामी प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है कि गुरुग्राम (पूर्व और पश्चिम), फरीदाबाद, पंचकूला, जगाधरी जैसे प्रमुख जिलों में नीलामी प्रक्रिया में भारी अनियमितता के चलते राज्य सरकार को 800 से 1000 करोड़ रुपये तक का राजस्व घाटा हुआ है।
बंसल के अनुसार, जहाँ हर साल शराब ठेकों से मिलने वाला राजस्व बढ़ता रहा है, इस बार न केवल वृद्धि नहीं हुई बल्कि रिज़र्व प्राइस से भी नीचे ठेके दिए गए, क्योंकि शुरुआत में अधिकांश स्थानों पर कोई बोलीदाता ही नहीं आया। इस डर और चुप्पी का कारण – गैंगस्टरों की खुली धमकियां।
बाद में जब रिज़र्व प्राइस घटा, तो वही ठेकेदार मैदान में उतर आए, जिन पर पहले खौफ था। सरकार ने दावा किया कि पुलिस सुरक्षा ने बोलीदाताओं को हिम्मत दी, लेकिन हकीकत इससे बहुत अलग है। सारा खेल बंद दरवाज़ों के पीछे खेला गया, और ठेके ‘फिक्स’ कर दिये गये। गैंगस्टर स्वयं कई ठेकेदारों के संरक्षक बने हुए थे।
इस घोटाले की आंच कई अफसरों तक पहुँची —
- हरियाणा के आबकारी कलेक्टर विजय मलिक को अचानक प्रक्रिया के बीच ही हटा दिया गया।
- गुरुग्राम (पश्चिम) और फरीदाबाद के डीईटीसी भी हटाए गए।
- कई अधिकारियों ने या तो इस्तीफ़ा देने की पेशकश की या रोज़-रोज़ के दबाव से टूटते दिखे।
बंसल का कहना है कि जहां कहा गया था कि कोई बोलीदाता नहीं आया, वहाँ गुपचुप सौदेबाज़ी हो चुकी थी। जो गैंग ठेके पर क़ब्ज़ा चाहता था, उसने तय कर लिया था कि कौन बोली लगाएगा और कितना। बाक़ी कोई नज़दीक भी न फटके — इसके लिए खुफिया तंत्र से भी काम लिया गया। पाँच से दस हज़ार रुपये में जानकारी लीक कर दी जाती थी कि कोई बाहरी ठेकेदार कागज़ लेकर आया है या नहीं। फिर उसे या तो धमकाया जाता या ‘मिला’ लिया जाता।
बंसल ने तीखा सवाल उठाया है —
“जब राजस्व ही पैदा नहीं हुआ तो उसकी ‘हत्या’ की जांच कौन करेगा?“
उनके अनुसार, इस घोटाले की जड़ में अनुभवहीनता और प्रशासनिक लापरवाही है:
- एक्साइज कलेक्टर अनुभवहीन
- राज्य आयुक्त को हरियाणा का व्यावहारिक अनुभव नहीं
- मुख्यमंत्री के पास स्वयं आबकारी विभाग
- वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर नए और अनभिज्ञ अधिकारी
इन हालातों में पुराने, मंझे हुए ठेकेदारों ने “सरकार को चारों खाने चित कर दिया” और प्रदेश को करोड़ों के राजस्व से वंचित कर दिया।
बंसल ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष CBI या न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए ताकि असल दोषी सामने आ सकें।