क्या होगा 1 अगस्त को फैसला या फिर टलेगा चुनाव?
फतह सिंह उजाला
पटौदी। पटौदी जाटोली मंडी परिषद में वाइस चेयरमैन पद को लेकर घमासान अपने चरम पर है। 1 अगस्त, शुक्रवार को निर्धारित इस चुनाव को लेकर जहां एक ओर शक्ति प्रदर्शन हो रहा है, वहीं दूसरी ओर जोड़-तोड़ की राजनीति भी तेज हो गई है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिक गई हैं कि क्या यह चुनाव अपने नियत समय पर होगा या फिर अंत समय में किसी रणनीतिक कारण से इसे टाल दिया जाएगा।
भाजपा के भीतर दो ध्रुव, मैदान में दो दावेदार
नवगठित मंडी परिषद के चेयरमैन का चुनाव मतदाताओं द्वारा संपन्न हो चुका है, लेकिन वाइस चेयरमैन का फैसला चुने हुए पार्षदों के हाथ में है। इस पद को लेकर दो धड़ों में बंटे भाजपा समर्थक पार्षदों में तनातनी बनी हुई है।
वाइस चेयरमैन पद के लिए सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे अमित शर्मा को भाजपा संगठन समर्थकों से कड़ी चुनौती मिल रही है। संगठन समर्थक पार्षद वार्ड-9 की पार्षद उषा देवी के समर्थन में लामबंद हैं। उषा देवी भाजपा के चुनाव चिन्ह पर विजयी हुई थीं और पार्टी में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
चेयरमैन प्रवीण ठाकरिया समेत रवि चौहान, किशन कुमार, मनोज कुमारी, राधेश्याम, गुलनाज, चंद्रभान सहगल और अनिल बोहरा जैसे पार्षद उषा देवी के पक्ष में एकजुट हैं। इनका तर्क है कि पार्टी सिंबल पर विजेता और समर्पित कार्यकर्ता को ही वरीयता मिलनी चाहिए।
महिला सशक्तिकरण का तर्क और भाजपा विचारधारा
भाजपा की महिला भागीदारी को 33% तक बढ़ाने की नीति का हवाला देकर यह खेमा विधायक विमला चौधरी से भी उम्मीद कर रहा है कि वे महिला पार्षद के समर्थन में आगे आएंगी। हाउस में कुल 9 महिला पार्षदों की उपस्थिति इस तर्क को और बल देती है।
अमित शर्मा का शक्ति प्रदर्शन और रणनीति
दूसरी ओर, अमित शर्मा का खेमा दावा करता है कि उनके पास 14 पार्षदों का समर्थन है। उन्होंने अपनी ताकत सांसद एवं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, विधायक विमला चौधरी, जिला अध्यक्ष अजीत यादव और प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली के समक्ष प्रदर्शित भी की है।
सूत्रों के अनुसार, अमित शर्मा समर्थक अधिकांश पार्षद चुनाव से पहले ‘ग़ायब’ हैं और अंतिम समय में सीधे निर्वाचन स्थल पर पहुंचने की रणनीति बना चुके हैं। इस खेमे में पिंकी, राकेश कुमार बबल, नीरू शर्मा, आनंद भूषण गोयल, कुलदीप सिंह, रेखा, इकरार, मुनफेद अली, सुमन, आरती यादव, हरिचंद जैसे नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहे हैं।
भाजपा की असली परीक्षा
यह चुनाव भाजपा संगठन के लिए भी एक बड़ी परीक्षा बन गया है। सवाल यह है कि पार्टी नेतृत्व अपने सिंबल पर विजयी और अनुशासित पार्षदों को प्राथमिकता देगा या फिर शक्ति प्रदर्शन करने वाले गुट का साथ देगा?
निष्कर्ष: जिज्ञासा और आशंकाओं के बीच निर्णायक दिन
1 अगस्त को होने वाला यह चुनाव महज वाइस चेयरमैन के चयन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भाजपा संगठन की नीतियों, अनुशासन और नेतृत्व की दिशा का भी संकेत देगा। क्या उषा देवी की नीतिगत अपील भारी पड़ेगी या अमित शर्मा की रणनीति रंग लाएगी? फिलहाल, कुर्सी की कसक ने पटौदी की राजनीति में नई उथल-पुथल पैदा कर दी है।