
गुड़गांव, 31 जुलाई 2025। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता समेत 10 वरिष्ठ नेताओं व अधिकारियों पर वाहनों की जब्ती और स्क्रैपिंग के नाम पर लूट, डकैती, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र जैसे संगीन आरोपों में गुड़गांव की एडिशनल सेशन कोर्ट ने संज्ञान लिया है। मामला क्रिमिनल रिवीजन नंबर CRR-438/2025 के तहत दर्ज है, जो कि मूलतः मुकदमा संख्या COMI-436/2025 का पुनरीक्षण है। इस याचिका को वरिष्ठ अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया ने दाखिल किया है।
क्या है पूरा मामला?
अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया ने अदालत में यह आरोप लगाया है कि पिछले एक दशक से दिल्ली सरकार और विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट, NGT और अन्य संस्थाओं का झूठा हवाला देते हुए जनता की वैध और रजिस्टर्ड गाड़ियों को जबरन जब्त कर स्क्रैपिंग एजेंसियों को सौंपा जा रहा है। उनका दावा है कि यह सब देश के मोटर वाहन कानूनों और संविधान के मूल अधिकारों का खुला उल्लंघन है।
आरोपी कौन-कौन?
इस मामले में जिन 10 प्रमुख व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है, वे हैं:
- रेखा गुप्ता – मुख्यमंत्री, दिल्ली
- मनजिंदर सिंह सिरसा – नेता
- निहारिका राय – सचिव/आयुक्त, परिवहन विभाग, दिल्ली सरकार
- वीरेन्द्र शर्मा – सदस्य, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)
- अजय चौधरी – स्पेशल सीपी, ट्रैफिक दिल्ली
- दिनेश गुप्ता – एडिशनल सीपी, ट्रैफिक दिल्ली
- संजय अरोड़ा – पुलिस कमिश्नर, दिल्ली
- कैलाश गहलोत – पूर्व परिवहन मंत्री, दिल्ली
- नितिन गडकरी – केंद्रीय परिवहन मंत्री
- गोविंद मोहन – गृह सचिव, भारत सरकार
किस कानून के तहत की गई कार्यवाही?
शिकायतकर्ता ने अपने मुकदमे में स्पष्ट रूप से कहा है कि वाहनों की जब्ती, प्रतिबंध और स्क्रैपिंग की कार्रवाई न सिर्फ केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1988 के संशोधित नियमों (2019, 2021, 2022, 2023) का उल्लंघन है, बल्कि यह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS), और भारतीय संविधान के कई प्रावधानों का भी घोर अपमान है।
उल्लेखनीय धाराएं:
- BNS की धारा 303, 309 – चोरी व डकैती
- धारा 318(4) – धोखाधड़ी
- धारा 198, 199 – लोक सेवक द्वारा कानून की अवहेलना
- धारा 61(1)(2) – आपराधिक षड्यंत्र
- धारा 336(1) – जालसाजी
- BNSS की धारा 33 व 210 – आपराधिक प्रक्रिया की वैधानिक संरचना के अंतर्गत कार्यवाही की मांग
सीजेएम कोर्ट के आदेश को दी गई चुनौती
यह मुकदमा पहले गुड़गांव की मजिस्ट्रेट अदालत में 5 जुलाई 2025 को COMI-436/2025 के तहत दाखिल किया गया था, जिसे पूर्व स्वीकृति के अभाव में खारिज कर दिया गया था। इसी आदेश को चुनौती देते हुए एडवोकेट कुल्थिया ने एडिशनल सेशन कोर्ट में रिवीजन याचिका दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने सीजेएम कोर्ट से रिकॉर्ड तलब कर लिए हैं और मामले की गंभीरता को देखते हुए संज्ञान लिया है।
क्या कहते हैं अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया?
“जब मोटर वाहन अधिनियम में स्पष्ट है कि वाहन की वैध उम्र 15 वर्ष है और इसके बाद 5-5 साल के रिन्यूअल की व्यवस्था है, तो फिर सरकार और अधिकारी किस अधिकार से जनता की गाड़ियां जब्त कर रहे हैं? यह सीधा-सीधा जनता की संपत्ति की लूट है और संविधान के अनुच्छेद 300A, 19(1)(d), 19(1)(g) और 21 का खुला उल्लंघन है।”
निष्कर्ष
इस मामले ने अब एक संवेदनशील और राष्ट्रीय महत्व का रूप ले लिया है, क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य सरकार के उच्चतम स्तर के अधिकारी आरोपी हैं। कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद अब सबकी निगाहें गुड़गांव एडिशनल सेशन कोर्ट की आगामी सुनवाई पर टिकी हैं। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह मामला जनता की संपत्ति की रक्षा बनाम प्रशासनिक दमन की ऐतिहासिक कानूनी लड़ाई बन सकता है।