ऋषिप्रकाश कौशिक

गुरुग्राम, 01 अगस्त 2025 – भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इन दिनों जनसमस्याओं की बजाय आयोजनों की झड़ी लगाकर केवल अपनी ब्रांडिंग में मशगूल नजर आ रही है। हाल ही में जारी एक प्रेस नोट के अनुसार, पार्टी अब “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” का राज्य स्तरीय आयोजन फरीदाबाद में करने जा रही है। साथ ही “हर घर तिरंगा” कार्यक्रम की तैयारियां भी जोरों पर हैं। इसी संबंध में गुरुग्राम में प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल कौशिक की अध्यक्षता में एक बैठक भी सम्पन्न हुई।
ध्यान देने वाली बात है कि इससे पहले भी बीजेपी द्वारा “सिंदूर उत्सव”, “लोकतंत्र की हत्या – आपातकाल स्मृति दिवस”, और “मन की बात” जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। सवाल यह उठता है कि इन आयोजनों से जनता के जीवन स्तर में क्या ठोस सुधार हुआ है? क्या इन कार्यक्रमों से सिर्फ पार्टी की मार्केटिंग और कार्यकर्ताओं की व्यस्तता सुनिश्चित हो रही है?
एक पत्रकार होने के नाते मेरा सीधा सवाल है – क्या यही सब करने के लिए जनता ने बीजेपी को वोट दिया था? क्या जिन मुद्दों पर जनादेश मिला था, उन पर अब पार्टी को काम नहीं करना चाहिए?
गुरुग्राम की बात करें तो यहाँ पिछले 11 वर्षों से हर साल बारिश के साथ जलभराव की समस्या विकराल हो जाती है। इस बार हालात और गंभीर हैं – जलभराव के साथ-साथ कचरा प्रबंधन पूरी तरह फेल हो चुका है। हर गली-मोहल्ले में कूड़े के ढेर और गंदे पानी से दुर्गंध के साथ-साथ बीमारियाँ फैलने की आशंका बनी हुई है।
स्थानीय विधायक मुकेश पहलवान और बादशाहपुर से मंत्री राव नरबीर सिंह सिर्फ यह कहकर बच निकलते हैं कि “अगली बार पानी नहीं भरने देंगे”। लेकिन अब तक नतीजा शून्य है। इससे पहले निगमायुक्त का तबादला कर जनता को यह भरोसा दिया गया था कि हालात सुधरेंगे। राव नरबीर ने मंत्री पद संभालते ही जोरशोर से घोषणा की थी कि भ्रष्टाचार नहीं सहेजा जाएगा। लेकिन आज भी जनता वही पुराने हालातों से जूझ रही है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि गुरुग्राम बीजेपी जिलाध्यक्ष पिंटू त्यागी तक कार्यकर्ताओं की शिकायतें नहीं सुनते। कई वरिष्ठ कार्यकर्ता भी इसी बात को लेकर असंतुष्ट हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या संगठन केवल दिखावटी बैठकों और आयोजनों तक सीमित रह गया है?
प्रदेश के अनेक नगर निगमों पर लगातार भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। जनता के टैक्स का पैसा बर्बाद हो रहा है लेकिन जवाबदेही शून्य है।
आज जब जनता Disney Land, सफारी और ग्रीन वॉल जैसे सपनों की नहीं, बल्कि साफ पानी, साफ सड़क, और कूड़ा प्रबंधन जैसी बुनियादी सुविधाओं की अपेक्षा रखती है – तब बीजेपी नेतृत्व केवल अतीत की घटनाओं को भुनाने में व्यस्त नजर आता है।
मेरी बीजेपी संगठन को सलाह है –
अगर आप वास्तव में जनता के बीच “मन की बात” पहुंचाना चाहते हैं, तो पहले उनके “मन की तकलीफों” को सुनें। जब गुरुग्राम जैसे शहर की मूलभूत समस्याओं का समाधान करने में संगठन सफल होगा, तब जनता स्वयं आपके कार्यक्रमों में बिना प्रचार के भाग लेने आएगी। तब “हर घर तिरंगा” अपने आप लहराएगा और “मन की बात” सच्चे अर्थों में जनसंवाद बनेगा।