ऋषिप्रकाश कौशिक

गुरुग्राम, 01अगस्त 2025 – देश के सबसे अधिक राजस्व देने वाले शहरों में शामिल गुरुग्राम की हालत बद से बदतर होती जा रही है। गड्ढों में तब्दील सड़कों, हर तरफ जलभराव, जगह-जगह फैली गंदगी, बेकाबू ट्रैफिक और प्रशासनिक लापरवाही ने इस शहर को अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी का विषय बना दिया है। लेकिन इन हालातों के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि, खासकर लगातार पांच बार से सांसद राव इंद्रजीत सिंह, इन गंभीर समस्याओं पर मौन क्यों हैं?

लगातार ग्यारह वर्षों से पूरा गुरुग्राम जलग्राम बनता हुआ जनता भी देखती आ रही है, बल्कि ये खबर विदेशों में में भी टॉप सुर्खियों में होती है I कारण यही नजर आता है कि शहर को स्मार्ट बनाने के लिए प्रशासन और प्रतिनिधि शहर के बारे में सामान्य से भी कम ज्ञान और संज्ञान रखते है I

हर सप्ताह मुख्यमंत्री या केंद्रीय मंत्री गुरुग्राम में किसी न किसी कार्यक्रम में आते हैं, फिर भी बुनियादी सुविधाओं में कोई सुधार नहीं होता। सवाल उठता है कि क्या ये दौरे सिर्फ फोटो खिंचवाने और घोषणाओं तक सीमित हैं?

राव इंद्रजीत सिंह – 20 वर्षों की निष्क्रियता?

राव इंद्रजीत सिंह ना केवल सांसद हैं, बल्कि GMDA के गठन में भी अहम भूमिका रखते हैं। नगर निगम के पार्षदों और मेयर के चयन में भी उनकी भूमिका निर्विवाद रही है। फिर भी आज गुरुग्राम की स्थिति नारकीय क्यों है?

क्या राव इंद्रजीत प्रशासनिक व्यवस्था की नब्ज नहीं समझ पाए या फिर उन्हें इस शहर की समस्याओं से कोई सरोकार ही नहीं? विधायक और मंत्री भी नदारद

2014 से लेकर 2024 तक जिन विधायकों को गुरुग्राम की जनता ने चुना, वे भी सांसद की पसंद पर ही सामने आए। लेकिन इन विधायकों – मुकेश पहलवान और मंत्री राव नरबीर– ने भी ना कभी विधानसभा में गुरुग्राम की आवाज़ उठाई और ना ही जनता के बीच कोई सक्रिय भूमिका निभाई।

मुकेश पहलवान ने चुनाव के बाद पहले हफ्ते में ही 100 दिनों में बदलाव का दावा किया था। आज वही दावा रोज़ बारिश में डूबते गुरुग्राम के साथ बहता दिखाई देता है।

राव नरबीर ने गुरुग्राम को डिज़नीलैंड और सफारी पार्क का सपना दिखाया था, लेकिन आज शहर के लोग गायों के आतंक, सीवरेज के उफान और जलभराव से जूझ रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका पर भी सवाल

स्वास्थ्य मंत्री आरती राव, जो स्वयं सांसद की बेटी हैं, उनके कार्यकाल में भी गुरुग्राम का नागरिक अस्पताल वर्षों से अधूरा पड़ा है। अस्पताल में सुविधाएं बीमार, डॉक्टर अनुपस्थित, और मरीज असहाय हैं।

जनता पूछे — अब नहीं तो कब?

गुरुग्राम की जनता अब खुलेआम सवाल कर रही है —

  • क्या गुरुग्राम सिर्फ टैक्स देने के लिए है?
  • क्या यहां के नागरिकों को हर दिन ट्रैफिक जाम, जलभराव, और प्रशासनिक उपेक्षा के बीच ही जीना होगा?
  • क्या नेताओं को सिर्फ चुनावी सपनों की खेती करनी है?

जिस शहर ने बार-बार नेताओं को सिर माथे पर बिठाया, अब वह न्याय और जवाबदेही की मांग कर रहा है।

अब वक्त है कि गुरुग्राम की जनता जागे – और नेताओं से जवाब मांगे।

सवाल पूछना अब जनता का हक नहीं, कर्तव्य है।

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