“सरकारी ज़मीन और संसाधन, पर लाभ केवल अम्बानी को? जंगल सफारी परियोजना को लेकर उठे सवाल”

चंडीगढ़/रेवाड़ी, 4 अगस्त 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने गुरुग्राम और नूंह ज़िले की लगभग 10 हजार एकड़ भूमि पर प्रस्तावित जंगल सफारी परियोजना को लेकर हरियाणा और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि इस परियोजना के नाम पर सरकारी तंत्र और संसाधनों का इस्तेमाल सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं और उनके ‘धन्ना सेठ’ मित्रों के आर्थिक हित साधने के लिए किया जा रहा है।

विद्रोही ने कहा, “इस जंगल सफारी के नाम पर वन विभाग, अरावली क्षेत्र, ग्राम पंचायतों, सोहना नगर पालिका और किसानों की भूमि को सरकार ने सत्ता का दुरुपयोग करते हुए हड़प लिया है। पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीवों की रक्षा के नाम पर शुरू हुई इस परियोजना का असली उद्देश्य पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना है।”

उन्होंने विशेष रूप से वंतारा का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि यह जंगल सफारी सरकारी पैसे से बनाकर अंततः मुकेश अम्बानी की कंपनी वंतारा को सौंपने की तैयारी है। “सरकारी निवेश से बनने वाली इस परियोजना से अम्बानी परिवार की तिजोरी भरेगी, जबकि जनता के हितों की अनदेखी की जा रही है,” विद्रोही ने कहा।

उन्होंने यह भी दावा किया कि इस परियोजना के नाम पर आसपास की ज़मीनों पर भाजपा नेताओं को रिसॉर्ट और टूरिज़्म सेंटर खोलने के लाइसेंस पहले ही दिए जा रहे हैं। एक मंत्री द्वारा जंगल सफारी से सटी अपनी ज़मीन पर रिसॉर्ट का लाइसेंस लेने का भी उन्होंने हवाला दिया।

“जब अभी निर्माण भी शुरू नहीं हुआ और सत्ता पक्ष के लोग लाभ लेना शुरू कर चुके हैं, तो परियोजना के बाद कितनी लूट होगी, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है,” विद्रोही ने जोड़ा।

हालांकि इस मामले में अभी तक सरकार या संबंधित कंपनियों की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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