विभाजन विभिषका दिवस को ‘औच्छी राजनीति’ करार, आरएसएस-हिन्दू महासभा पर ऐतिहासिक आरोप

चंडीगढ़/ रेवाड़ी, 12 अगस्त 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता बल पर कथित विभाजन विभिषका स्मृति दिवस के नाम पर देश में साम्प्रदायिक उन्माद और नफरत फैलाकर समाज को बांटने व तोड़ने की गंदी राजनीति की जा रही है।

विद्रोही ने कहा कि भाजपा-संघ की देश की आजादी आंदोलन में कोई भूमिका नहीं रही। उनके अनुसार, भाजपा के वैचारिक पुरखे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) घोषित रूप से अंग्रेजी हुकूमत के मुखबिर और दलाल थे। उस दौर में आरएसएस और हिन्दू महासभा के नेता अंग्रेजी हुकूमत से जागीर और पेंशन पाते थे, और अदालतों में अंग्रेजी राज के गवाह बनकर स्वतंत्रता सेनानियों को सजा दिलवाते थे।

उन्होंने सवाल उठाया कि आजादी के 78 साल बाद, स्वतंत्रता दिवस से ठीक एक दिन पहले 14 अगस्त को विभाजन विभिषका दिवस मनाने का क्या औचित्य है। विद्रोही ने कहा कि भाजपा आज भी अपने वैचारिक पुरखों की तरह साम्प्रदायिक उन्माद और नफरत फैलाकर राजनीति कर रही है।

सावरकर-जिन्ना को ठहराया विभाजन का जिम्मेदार

विद्रोही ने कहा कि सबसे पहले टू-नेशन थ्योरी हिन्दू महासभा से जुड़े सावरकर ने रखी थी, जिसे बाद में मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनाया। उनके मुताबिक, भारत विभाजन की सोच सावरकर और जिन्ना का अंग्रेजी हुकूमत के आशीर्वाद से तैयार किया गया संयुक्त प्रोजेक्ट था।

उन्होंने आरोप लगाया कि जनसंघ के संस्थापक और उस समय के हिन्दू महासभा नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मुस्लिम लीग के साथ संयुक्त बंगाल में सरकार बनाई और मंत्री पद संभाला। इसी संयुक्त सरकार ने विधानसभा में भारत और पाकिस्तान के दो राष्ट्र बनने का प्रस्ताव पारित करवाया था।

“स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर नफरत का खेल लोकतंत्र के गाल पर तमाचा”

विद्रोही ने कहा कि हिन्दू धर्म में मृत आत्माओं को याद करने के लिए श्राद्ध का समय निर्धारित है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर विभाजन विभिषका के नाम पर नफरत का खेल खेलना लोकतंत्र के चेहरे पर सीधा तमाचा है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है और देश की एकता को खंडित करने का “महापाप” कर रही है।

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