“आजादी आंदोलन के नायकों का अपमान, विभाजन विभिषका दिवस के बहाने इतिहास से खिलवाड़”

चंडीगढ़/रेवाड़ी, 16 अगस्त 2025। स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या (14 अगस्त) को “विभाजन विभिषका दिवस” मनाकर भाजपा ने दरअसल “रूदन दिवस” मनाया और देश के आजादी पर्व की गरिमा को ठेस पहुँचाई।
विद्रोही ने सवाल उठाया—“क्या आजादी के जश्न की पूर्व संध्या पर रूदन दिवस मनाने वाले सच्चे देशभक्त कहलाने के योग्य हैं? क्या यह स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल खड़ा करना नहीं है?”
उन्होंने कहा कि भाजपा व उसके विचारक अंग्रेजों के सहयोगी रहे संघी दलालों के वैचारिक वंशज हैं, जो आज भी आजादी और लोकतंत्र को हज़म नहीं कर पा रहे। “भाजपाई भूल जाते हैं कि आज वे सत्ता में हैं तो यह स्वतंत्रता और लोकतंत्र की ही देन है।”
विभाजन की ज़िम्मेदारी पर बड़ा बयान
विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार देश के बंटवारे की ज़िम्मेदारी कांग्रेस और खासकर पंडित जवाहरलाल नेहरू पर थोपकर “इतिहास से खिलवाड़” कर रही है।
उन्होंने कहा—
- “दो राष्ट्र सिद्धांत (Two Nation Theory) का बीज सबसे पहले माफीवीर सावरकर ने 1925 में बोया था, जिसे बाद में मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनाया।”
- “हिंदू महासभा और आरएसएस ने पाकिस्तान निर्माण का रास्ता सबसे पहले तैयार किया।”
- “श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1943-44 में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर बंगाल विधानसभा में भारत-पाक विभाजन का प्रस्ताव पास कराया।”
विद्रोही ने कहा—“इस पृष्ठभूमि के बावजूद कांग्रेस या नेहरू पर विभाजन का ठीकरा फोड़ना सफेद झूठ है।”
प्रधानमंत्री और आरएसएस पर भी तीखा प्रहार
विद्रोही ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15 अगस्त के भाषण को भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि लालकिले से आरएसएस की प्रशंसा करना और उसे “दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ” बताना आजादी आंदोलन और लोकतंत्र का अपमान है।
विद्रोही ने प्रधानमंत्री से सवाल दागे—
- यदि आरएसएस एनजीओ है तो उसका पंजीकरण कब और कहाँ हुआ?
- आरएसएस ने 52 वर्षों तक राष्ट्रीय ध्वज क्यों नहीं फहराया?
- संस्थापक हेडगेवार ने स्वतंत्रता आंदोलन से दूर रहने का आदेश क्यों दिया था?
- गोलवलकर ने तिरंगे और संविधान का विरोध क्यों किया था?
निष्कर्ष
विद्रोही ने कहा कि 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भाजपा द्वारा विभाजन विभिषका दिवस मनाना देश के इतिहास, स्वतंत्रता सेनानियों और लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ “क्रूर मज़ाक” है।