चंडीगढ़, 19 अगस्त। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश में मेडिकल स्टाफ की कमी पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर व विशेषज्ञों के अलावा अन्य स्टाफ का भी भारी टोटा है। एएनएम यानी बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ माना जाता है। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश में उनके करीब 1300 पद खाली पड़े हुए हैं। विभाग में महिलाओं के कुल 2734 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 2137 पद ही भरे गए हैं। जबकि 597 पद खाली पड़े हुए हैं। वहीं पुरुष बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के कुल 2832 पद है, जिनमें से सिर्फ 2126 ही भरे गए हैं और 706 खाली पड़े हुए हैं।
इसके चलते कार्यरत कर्मियों पर काम का बेहद ज्यादा दबाव है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में स्टाफ न होने की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं ठप पड़ी हुई हैं। मेवात, गुरुग्राम, यमुनानगर और सिरसा में तो एएनएम की कमी की वजह से तमाम सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रम भी प्रभावित हो रहे हैं।
इतना ही नहीं, सरकार जिला अस्पतालों में दवाइयां तक देने में नाकाम साबित हो रही है। इसलिए मरीजों को बाहर से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। नगीना के अस्पताल से भी ऐसी ही बेहद चिंता बढ़ने वाली खबर आई है। अस्पताल में रोज 500 से 700 मरिज आते हैं, लेकिन दवाइयां नहीं होने की वजह से उन्हें महंगे दामों पर अन्य मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही है।
हुड्डा ने कहा कि जब से भाजपा सत्ता में आई है, उसने प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र का बंटाधार कर डाला है। आज खुद स्वास्थ्य तंत्र वेंटिलेटर पर लेटा हुआ है। 11 साल में सरकार ने प्रदेश में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं बनाया। जबकि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान एक हेल्थ यूनिवर्सिटी और छह मेडिकल कॉलेज बनवाए गए थे। प्रदेश की पहली मेडिकल यूनिवर्सिटी भी कांग्रेस के समय में ही खोली गई थी। आजादी के बाद देश में महिलाओं के लिए पहला सरकारी मेडिकल कॉलेज सोनीपत के खानपुर में कांग्रेस ने खोला था। कांग्रेस ही झज्जर में एम्स-2 और नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट लेकर आई थी। आज ये तमाम संस्थान हरियाणा के साथ-साथ कई प्रदेश के लोगों के लिए वारदान साबित हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस सरकार ने झज्जर एम्स-2 के साथ जो राष्ट्रीय स्तर के 10 संस्थान मंजूर करवाए थे, भाजपा ने इन्हें भी रद्द करवा दिया। यदि वे संस्थान झज्जर में बन जाते तो प्रदेश के लोगों को बहुत फायदा मिलता।
बीजेपी ने हमेशा लोगों की जान जोखिम में डालने का काम किया। यह वो सरकार है जो कोरोना काल में लोगों को ऑक्सीजन, दवाई और इलाज के अभाव में तड़प-तड़पकर मरते हुए देखती रही। लेकिन उसने कोई कदम नहीं उठाया। संवेदनहीनता की हदें पार करते हुए बीजेपी ने विधानसभा में यहां तक बोल दिया कि कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत ही नहीं हुई। कांग्रेस ने इसपर कमेटी बनाकर जांच की मांग की तो सरकार उस जांच को भी दबाकर बैठ गई।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी इस हद तक नाकाम साबित हुई है कि वह खुद की चलाई आयुष्मान योजना को भी नहीं संभाल पा रही है। 650 करोड़ की पेमेंट पेंडिंग होने के चलते प्राइवेट अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज करने से ही माना कर दिया है। यह गरीब परिवारों के मरीजों की जिंदगी के साथ सीधा खिलवाड़ है।