नियमानुसार रसोई गैस का नहीं हो सकता कमर्शियल उपयोग.
एलपीजी सिलेंडर सरेआम सड़क पर रख किया जा रहा काम

फतह सिंह उजाला

पटौदी । एक तो पीएम मोदी के द्वारा गांव-गांव और घर-घर रसोई गैस सिलेंडर की सुविधा उपलब्ध करवाई गई । जिससे कि खासतौर से ग्रामीण अंचल में पारंपरिक झूला से होने वाले प्रदूषण की समस्या को कम किया जा सके, वही ग्रहणीयों को सुविधा भी मिल जाए ।

इन सब बातों के अलग आम उपभोक्ता के लिए उपलब्ध करवाई जा रही एलपीजी का बेखौफ सरेआम धड़ल्ले से बिजली निगम के उपकरण लगाने में एक प्रकार से कमर्शियल तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है । एलपीजी सिलेंडर सरेआम सड़क पर अथवा बिजली उपकरण से लदे वाहनों में रखे हुए कारिंदे अपना वेल्डिंग सहित अन्य काम भी कर रहे हैं । इस प्रकार रसोई गैस के इस्तेमाल किया जाने से किसी भी प्रकार के संभावित हादसे की हादसे की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता  है । ऐसा ही कुछ  हाल और नजारा भी देखने को मिला।

जहां बिजली विभाग के ठेकेदार के कर्मचारियों के द्वारा सरेआम एलपीजी सिलेंडर का बिजली के उपकरण लगाने, मरम्मत करने सहित अन्य कार्य में इस्तेमाल किया जा रहा है । बात यहीं तक ही नहीं है , काम करने के दौरान एलपीजी गैस का वैल्डिंग और गैस कटर में इस्तेमाल किया जा रहा है । ऐसे में इस बात की संभावना से इंकार नहीं की लोहे के एंगल अथवा अन्य सामान को गैस से कटिंग करते समय फूटने वाली चिंगारियां हादसे का भी कारण बन सकती हैं । इन सब बातों के अलावा बिजली निगम के ठेकेदार के द्वारा काम करवाने वाले कारिंदों को सुरक्षा उपकरण तक भी उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं । ठेकेदार के कारिंदे बिजली के ऊंचे पोल पर चढ़कर भी ट्रांसफार्मर , जंपर व अन्य उपकरण फिट करने का काम कर रहे हैं । ऐसे में ऊंचाई पर काम करने के दौरान सुरक्षा मानकों की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है । फर्रुख नगर क्षेत्र में ही बिजली के ऊंचे खंभों पर काम करने के दौरान हुए हादसों में जान भी जा चुकी है ।

शनिवार को इसी प्रकार का एक और  मामला पातली रोड पर द्रोनाचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के सामने देखने को मिला । जहां एक मोबाइल टावर के पास में ही बिजली के उपकरण लगाने के लिए कारिंदे ऊंचे पोल पर चढ़कर काम करते दिखाई दिए । वही कुछ कारिंदे एलपीजी सिलंेडर सड़क पर रखकर बिजली उपकरणों की गैस कटिंग करते देखे गए । ऊंचाई पर काम करने वाले कारीगरों के पास मैं तो सेफ्टी बेल्ट उपलब्ध थी , नहीं हेलमेट पहने हुए थे और ना ही अन्य प्रकार के आवश्यक सुरक्षा के उपकरण भी मौजूद थे । जानकारों के मुताबिक बिजली निगम बेशक से विभिन्न प्रकार के कार्य ठेके पर करवा रहा है , लेकिन काम किया जाने वाले स्थान पर काम करने वाले कारिंदों सहित सुरक्षा उपकरणों की जांच करना बिजली विभाग के ही अधिकारियों की जिम्मेदारी भी बनती है । लेकिन अधिकारी अपनी इसे देखने की जिम्मेदारी से भी पल्ला झाड़ बैठे हैं । ऐसे में जब कभी भी काम करने के दौरान सुरक्षा उपकरणों के अभाव में काम करने वाले कारिंदों के साथ किसी भी प्रकार का हादसा हो जाता है तो बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ संबंधित ठेकेदार भी अपना पल्ला झाड़ दिखाते हैं । जबकि वास्तव में हो रहे काम की देखरेख करना तथा निर्धारित मापदंडों की पालना करवाना बिजली निगम के अधिकारियों की ही जिम्मेदारी बनती है।

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