Tag: डॉ. सत्यवान सौरभ

चाइनीज मांझा: खुलेआम बिकती मौत की धार ……

डॉ. सत्यवान सौरभ हर शहर, हर गली, हर मोहल्ले में, जब बच्चे और किशोर पतंग उड़ाने निकलते हैं, तो उनका उद्देश्य केवल आसमान छूना होता है। लेकिन दुर्भाग्य से अब…

“100 किलोमीटर दूर की परीक्षा: क्या अभ्यर्थी की ज़िंदगी इतनी सस्ती है?”

“चुनाव में स्टाफ जाता है, परीक्षा में छात्र क्यों? रोज़गार की दौड़ में रास्ते ही कठिन क्यों?” सड़क हादसों में गई युवाओं की जान, कौन लेगा जिम्मेदारी?नौकरी की तलाश में…

ई-वोटिंग: लोकतंत्र की मजबूती या तकनीकी जटिलता?

ई-वोटिंग मतदान प्रक्रिया को सरल, सुलभ और व्यापक बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है। बिहार के प्रयोग से स्पष्ट है कि मोबाइल ऐप के माध्यम से…

देश में नशे के सौदागरों का बढ़ता जाल

भारत में नशे का संकट अब व्यक्तिगत बुराई नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आपदा बन चुका है। ड्रग माफिया, तस्करी, राजनीतिक संरक्षण और सामाजिक चुप्पी—सब मिलकर युवाओं को अंधकार में ढकेल रहे…

“CET के नाम पर कोचिंग माफिया: हरियाणा में शिक्षा का बढ़ता सौदा”

“कुकुरमुत्तों की तरह उगते कोचिंग सेंटर: CET या लूट की नई राह?” “CET का चक्रव्यूह और कोचिंग का जाल डॉ. सत्यवान सौरभ हरियाणा में CET परीक्षा लागू होने के बाद…

क्या पुरस्कार अब प्रकाशन-राजनीति का मोहरा बन गए हैं?

डॉ. सत्यवान सौरभ “साहित्य समाज का दर्पण होता है।” यह वाक्य हमने न जाने कितनी बार पढ़ा और सुना है। परंतु आज साहित्य के दर्पण पर परतें चढ़ चुकी हैं—राजनीतिक,…

संकीर्ण जीवन-दृष्टि और टूटती नैतिक रीढ़

“जब जीवन का अर्थ सिर्फ संपत्ति रह जाए” डॉ. सत्यवान सौरभ “अच्छे जीवन” की जो धारणा आधुनिक समाज में बन रही है, वह भौतिक वस्तुओं, सामाजिक दिखावे और व्यक्तिगत उपलब्धियों…

रिश्तों के लाश पर खड़ा आधुनिक प्रेम

रिश्ते, भ्रम और हत्या इंदौर के राजा की मेघालय में हनीमून के दौरान हत्या, उसकी नवविवाहिता पत्नी द्वारा प्रेमी संग मिलकर की गई निर्मम साजिश, आधुनिक प्रेम की भयावह हकीकत…

कुदरत के सबक को कब पढ़ेगा इंसान?”

पाँच साल पहले कोविड-19 लॉकडाउन ने जहां दुनिया की अर्थव्यवस्था को झकझोरा, वहीं पर्यावरण को राहत दी। वायु प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैसों और औद्योगिक उत्सर्जन में गिरावट ने साबित किया कि…

“नेताओं की देशभक्ति की अग्निपरीक्षा, सेना में बेटा भेजो, पेंशन लो!”

भारत में एक बार विधायक या सांसद बन जाना आजीवन पेंशन की गारंटी बन चुका है, चाहे उनका संसदीय रिकॉर्ड शून्य क्यों न हो। वहीं, सीमाओं पर तैनात सैनिक हर…