Tag: प्रियंका सौरभ …….. रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस

फेसबुक या फूहड़बुक?: डिजिटल अश्लीलता का बढ़ता आतंक और समाज की गिरती संवेदनशीलता

प्रियंका सौरभ जब सोशल मीडिया हमारे जीवन में आया, तो उम्मीद थी कि यह विचारों को जोड़ने, संवाद को मज़बूत करने और जन-जागरूकता फैलाने का एक सशक्त माध्यम बनेगा। लेकिन…

हिसार की बेटी और भिवानी की बहू प्रियंका सौरभ को मिला ‘सामाजिक सरोकार पत्रकारिता नारद सम्मान 2025’

कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने मानव रचना यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद में किया सम्मानित सिवानी मंडी /हिसार/ भिवानी/फरीदाबाद, हरियाणा | 26 मई 2025: देवर्षि नारद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित राज्य स्तरीय…

बदलते युग का नया तमाशा: संस्कारों की सिसकियाँ

(समाज में बदलती नैतिकता, रिश्तों की उलझन और तकनीक के नए असर पर) समाज में अब बेटी की निगरानी नहीं, दादी और सास की होती है। तकनीक और आज़ादी के…

भर्ती में समानता की वापसी: सामाजिक-आर्थिक बोनस अंकों पर हाईकोर्ट की सख्ती

भारतीय लोकतंत्र का मूल मंत्र है – समान अवसर। लेकिन जब अवसरों की तुलना में विशेष सुविधाएं या बोनस अंक बांटे जाएं, तो यह उस मूल भावना को ही चोट…

घर के भेदी: जब भीतरघात बन जाए राष्ट्रीय संकट

गोली नहीं, अब मोबाइल से हो रहा है युद्ध; कुछ सिक्कों और रिश्तों के लालच में बिक रही है राष्ट्रभक्ति सुरक्षा गार्ड, छात्र और यूट्यूबर बन रहे हैं दुश्मन के…

“गद्दारी का साया: जब अपनों ने ही बेचा देश”

मुठ्ठी भर मुगल और अंग्रेज देश पर सदियों राज नहीं करते यदि भारत में गद्दार प्रजाति न होती। यह बात आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। 1999 के कारगिल युद्ध…

“सोशल मीडिया पर देह की नुमाइश: सशक्तिकरण या आत्मसम्मान का संकट?”

“लाइक्स की दौड़ में खोती पहचान: नारी सशक्तिकरण का असली मतलब” सोशल मीडिया पर नारी देह का बढ़ता प्रदर्शन क्या वाकई सशक्तिकरण है या महज़ लाइक्स और फॉलोअर्स की होड़?…

काबिलियत और अंक: दोनों में फर्क समझें……. अंक नहीं, असल काबिलियत की पहचान

अंक केवल एक व्यक्ति की किताबी जानकारी का प्रमाण होते हैं, न कि उसकी असल क्षमता का। असली काबिलियत जीवन की समस्याओं को हल करने, नई चीजें सीखने और परिस्थितियों…

एक युग का अंत: क्रिकेट के महानायकों को सलाम

विराट कोहली और रोहित शर्मा न केवल महान बल्लेबाज़ हैं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के दिल और धड़कन भी हैं। विराट की आक्रामकता और रोहित की क्लासिक बल्लेबाज़ी ने हमें अनगिनत…

फिर आएगा गौरी: इतिहास के पन्नों से वर्तमान तक का सबक – क्या पाकिस्तान के साथ भी हम वही भूल दोहरा रहे हैं?

आज़ादी के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ कई बार समझौते और संघर्षविराम की कोशिशें की हैं, लेकिन पाकिस्तान की नीतियाँ और उसके आक्रमणों का कोई अंत नहीं आया। यह…