Tag: डॉ सत्यवान सौरभ

28 अप्रैल – कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए विश्व दिवस……कैसी है हमारी व्यावसायिक सुरक्षा और क्या है स्वास्थ्य खतरे ?

व्यावसायिक दुनिया में गहरा परिवर्तन हो रहा है। सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों और अन्य हितधारकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे सभी के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य…

24 अप्रैल – राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस :

बिखर गई पंचायतें, रूठ गए है पंच।भटक राह से है गए, स्वशासन के मंच।। राज्य सरकार स्थानीय नौकरशाही के माध्यम से स्थानीय सरकारों को बाध्य करती हैं। उदाहरण के लिए,…

यूपीआई लेनदेन पर शुल्क का ब्रेन गेम

यह सलाह दी जाती है कि “मदर थेरेसा” न बनें और अपने बैंक के साथ-साथ अपने यूपीआई भुगतान प्रणाली का बुद्धिमानी से उपयोग करें। हमेशा ध्यान रखें कि राजस्व विभाग…

ग्रामीण अंचल के विद्यार्थियों के लिए एक उमंग –डॉ. रणजीत सिंह फुलिया

सन 2004 में नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर डॉ. रणजीत सिंह फुलिया ग्रामीण क्षेत्रों के, विशेषकर हरियाणा और आस -पास के छह राज्यों — राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल…

विश्व स्वास्थ्य दिवस, 7 अप्रैल …….. डॉक्टर और दवाइयों की कमी से जूझता देश का स्वास्थ्य

प्रत्येक 10,000 लोगों के लिए केवल एक एलोपैथिक डॉक्टर उपलब्ध है और 90,000 लोगों के लिए एक सरकारी अस्पताल उपलब्ध है। मासूम और अनपढ़ मरीजों या उनके रिश्तेदारों का शोषण…

“बुराई तब बढ़ती है जब अच्छे लोग कुछ नहीं करते”?

अच्छे लोगों पर अपने समुदाय को बनाए रखने के लिए बुराइयों के सामने बोलने और कार्य करने की जिम्मेदारी है। एडमंड बर्क ने कहा था; “बुराई की जीत के लिए…

प्रतिष्ठा की हानि में सबूत हो संस्कारधानी

पिछले कुछ वर्षों में भारत में मानहानि के मामलों में वृद्धि हुई है। तुच्छ आधारों पर, सरकार के नेता एक-दूसरे के खिलाफ मानहानि के मुकदमे दायर करते हैं, इसके बाद…

विकलांग व्यक्तियों के लिए गरिमापूर्ण जीवन के हो प्रयास

हमारी शिक्षा प्रणाली समावेशी नहीं है। मामूली से मध्यम विकलांग बच्चों को नियमित स्कूलों में शामिल करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। विशेष स्कूलों की उपलब्धता, स्कूलों तक पहुंच,…

सुख-सुविधा का पागलपन रौंद रहा मनुष्यता

आज के भागदौड़ भरे जीवन में अच्छे जीवन की एक संकीर्ण धारणा पर ध्यान केंद्रित करने से विभिन्न नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। नैतिक मूल्यों के संकट का…