Tag: प्रियंका सौरभ …….. रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस

“स्वतंत्र स्त्री का भय: हिंदी साहित्य का अपच” ……… “हिंदी साहित्य की आँख में किरकिरी: स्वतंत्र स्त्रियाँ”

हिंदी साहित्य जगत को असल स्वतंत्र चेता प्रबुद्ध स्त्रियां अभी भी हजम नहीं होती। उन्हें वैसी ही स्त्री लेखिका चाहिए जैसा वह चाहते हैं। वह सॉफ्ट मुद्दों पर लिखे, परिवार,…

जयंती विशेष : परशुराम जी की उपस्थिति आज भी प्रासंगिक है …..”हे परशुराम, अब कब तक करें इंतजार?”

आज के दौर में परशुराम की शिक्षा और आदर्श हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके संघर्ष, न्याय के प्रति समर्पण और अत्याचार के खिलाफ उठाए…

“भारत में इस्तीफा देने वाले आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का संकट।”

“सिविल सेवा का संकट: इस्तीफों के बढ़ते सिलसिले के कारण और प्रभाव” “सिविल सेवा में इस्तीफों का मंथन: राजनीति, प्रशासन और मानसिक तनाव का समीकरण” “नौकरशाही के दिग्गजों का पलायन:…

“जहां घूंघट गिरा, वहां सिर ऊंचे हुए ……… ढाणी बीरन से उठी हौसलों की एक नई फसल।”

ढाणी बीरन की चौपाल से उठी नई सुबह: हरियाणा के एक गांव ने बेटियों-बहुओं को घूंघट से दी आज़ादी > “परंपरा तब तक सुंदर है, जब तक वह पंख न…

टीवी पर लाहौर जीत लिया, ज़मीन पर आँसू बहा दिए

— जब राष्ट्रवाद स्क्रीन पर चमकता है और असली ज़िंदगी में धुंधला पड़ जाता है। न्यूज़ चैनल राष्ट्रवाद को एक स्क्रिप्टेड तमाशे की तरह पेश करते हैं। रात में टीवी…

पहलगाम की गोलियाँ: धर्म पर नहीं, मानवता पर चली थीं

— प्रियंका सौरभ कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला सिर्फ एक गोलीबारी नहीं थी—यह एक ऐसा खौफनाक संदेश था जिसमें गोलियों ने धर्म की पहचान पूछकर…

“अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

शिक्षा या शिकारी जाल? पढ़ी-लिखी लड़कियों को क्यों नहीं सिखा पाए हम सुरक्षित होना? अजमेर की छात्राएं पढ़ी-लिखी थीं, लेकिन वे सामाजिक चुप्पियों और डिजिटल खतरों से अनजान थीं। हमें…

विनाश के पाँच तोप …………. शिक्षा से तहसील तक

शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, थाना और तहसील जैसे पाँच संस्थानों की विफलता गंभीर चिंता का विषय है। शिक्षा अब ज्ञान नहीं, कोचिंग और फीस का बाजार बन चुकी है। स्वास्थ्य सेवाएँ…

चॉक से चुभता शोषण: प्राइवेट स्कूल का मास्टर और उसकी गूंगी पीड़ा

“प्राइवेट स्कूल का मास्टर: सम्मान से दूर, सिस्टम का मज़दूर” प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों से उम्मीदें तो आसमान छूती हैं, लेकिन उन्हें न तो उचित वेतन मिलता है, न सम्मान,…

“गोबर, गुस्सा और विश्वविद्यालय की गिरती गरिमा” : गोबर का जवाब: जब शिक्षा की दीवारों पर गुस्सा पुता हो

दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा क्लासरूम और प्रिंसिपल के घर पर गोबर लिपने की घटना केवल अनुशासनहीनता नहीं, बल्कि एक गहरी असंतोष की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति थी। इस विरोध ने सत्ता…