“स्वतंत्र स्त्री का भय: हिंदी साहित्य का अपच” ……… “हिंदी साहित्य की आँख में किरकिरी: स्वतंत्र स्त्रियाँ”
हिंदी साहित्य जगत को असल स्वतंत्र चेता प्रबुद्ध स्त्रियां अभी भी हजम नहीं होती। उन्हें वैसी ही स्त्री लेखिका चाहिए जैसा वह चाहते हैं। वह सॉफ्ट मुद्दों पर लिखे, परिवार,…