लावारिस लाशें कहीं, और कहीं ताबूत
बदल गए दस्तूर’ को कोरोना-केंद्रित हिंदी का प्रथम दोहा-संग्रह माना जा सकता है। —-प्रियंका सौरभ , रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, -कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, कोरोना काल का सदुपयोग…
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बदल गए दस्तूर’ को कोरोना-केंद्रित हिंदी का प्रथम दोहा-संग्रह माना जा सकता है। —-प्रियंका सौरभ , रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, -कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, कोरोना काल का सदुपयोग…