Tag: -डॉ सत्यवान सौरभ

उच्च शिक्षा सुधार की राह में रोड़ा …… “कुलपति विहीन विश्वविद्यालय: हरियाणा की उच्च शिक्षा का ठहरा भविष्य”

हरियाणा के सात से अधिक विश्वविद्यालय लंबे समय से स्थायी कुलपति विहीन हैं, जिससे उच्च शिक्षा प्रणाली में नेतृत्व का अभाव उत्पन्न हुआ है। यह न केवल प्रशासनिक शिथिलता को…

दुर्लभ बीमारियों के बोझ तले कहराते मरीज ……

दुर्लभ बीमारी एक स्वास्थ्य समस्या है जो कभी-कभार होती है और सीमित संख्या में व्यक्तियों को प्रभावित करती है। इस श्रेणी में आनुवंशिक विकार, असामान्य कैंसर, संक्रामक रोग और अपक्षयी…

क्यों लोग वोट देने नहीं निकल रहे?

क्या नागरिक कथित राजनीतिक तानाशाही से उत्पीड़ित महसूस कर रहे हैं और ब्रिटिश राज की याद कर रहे हैं? क्या लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण चुनावी प्रक्रिया में रुचि कम हो…

सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों से जुड़े हुए हैं प्रदर्शन कलाएँ और रंगमंच

मजदूर वर्ग को आजाद कराने और स्थापित सत्ता के खिलाफ क्रांति को मज़बूत करने के लिए 20वीं सदी की शुरुआत में नुक्कड़ नाटक का विकास हुआ। इसकी शुरुआत मुख्य रूप…

अत्यधिक महत्वकांक्षा से टूटती परिवार के रिश्तों की डोर

बिखर रहे चूल्हे सभी, सिमटे आँगन रोज। नई सदी ये कर रही, जाने कैसी खोज॥ पिछले कुछ समय में पारिवारिक ढांचे में काफ़ी बदलाव हुआ है। मगर परिवारों की नींव…

किताबों और अखबारों को बनाइए अपना साथी, ज़िन्दगी को जीने और देखने का बदल जाएगा नज़रिया

विडंबना यह है कि बहुत से माता-पिता भी यही मानते हैं कि चुटकुले, मनोरंजन, रील बनाना और जो चाहे खाना, ये सब जीवन में ख़ुशी और आनंद की कुंजी हैं।…

कैसे वाजिब है 70-90 घंटे काम करना?

लंबे कार्य घंटों का महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए; इसके बजाय, टिकाऊ और कुशल कार्य अनुसूचियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जो उत्पादकता और कर्मचारी कल्याण दोनों को बढ़ावा…

सफलता सार्वजनिक उत्सव,असफलता व्यक्तिगत विप्पति, नतीजों को मिलते पुरस्कार, कोशिशें रहती गुमनाम

परिणामों पर ज़ोर देने से क्रमिक शिक्षा और सुधार का महत्त्व कम हो जाता है, जिससे सफलता अस्थिर हो जाती है। ऋषभ पंत जैसे क्रिकेटर, जिनकी शुरुआत में असंगतता के…

रिटायर्ड अफ़सरों के बोझ तले दबा आरटीआई का ढाँचा …

सेवानिवृत्त अधिकारी उन विभागों के खिलाफ निर्णय लेने में संकोच कर सकता है, जिनके लिए उन्होंने कभी काम किया था, जिससे समझौतापूर्ण फैसले होते हैं। पारदर्शिता में विशेषज्ञता की कमी…

आखिर क्यों नहीं थम रहा रुपये में गिरावट का सिलसिला

निर्यात की तुलना में आयात में वृद्धि के कारण व्यापार घाटा बढ़ने से विदेशी मुद्रा का बहिर्वाह बढ़ता है, जिससे रुपया कमजोर होता है। कच्चे तेल और सोने के बढ़ते…