Tag: -प्रियंका सौरभ रिसर्च स्कॉलर

“सोशल मीडिया पर देशविरोध का कारोबार: अभिव्यक्ति की आज़ादी या एजेंडा मार्केटिंग?”

(पेआउट के बदले देशविरोध? अब नहीं चलेगा!) सोशल मीडिया पर ‘पेआउट’ लेकर भारत को बदनाम करने वालों की अब खैर नहीं। IT एक्ट 2000 और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड 2021…

क्या महिला किसानों तक पहुँच रही है तकनीक?

भारत की कृषि-खाद्य प्रणालियाँ, जिनमें कृषि, पशुधन, कृषि वानिकी और मत्स्य पालन शामिल हैं, महिलाओं के भुगतान और अवैतनिक श्रम दोनों पर बहुत अधिक निर्भर हैं। महिलाएँ भारतीय कृषि के…

महिला दिवस विशेष: सार्थक भागीदारी के बिना कैसे हल होंगे आधी दुनिया के मसले?

“अगर आधी आबादी होते हुए भी महिलाएँ इस आबादी की कहानियाँ नहीं कहेंगी, तो कौन कहेगा?” -प्रियंका सौरभ महिला सशक्तिकरण कोई एक दिन की चर्चा नहीं, बल्कि निरंतर संघर्ष का…

विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों पर उठते सवाल

भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा को पारंपरिक रूप से चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण संसाधनों की कमी, पुराना पाठ्यक्रम और रटने और याद करने पर जोर…

प्रस्तावित परिसीमन से भारत के संघीय ढांचे को खतरा

परिसीमन उच्च-विकास वाले राज्यों की ओर शक्ति को झुका सकता है, जिससे उच्च कुल प्रजनन दर वाले उत्तरी राज्यों को संघीय मामलों में अधिक नियंत्रण मिल सकता है। बिहार और…

भीषण गर्मी से खुला काम करने वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान क्यों ?

भारत में हाल ही में आई भीषण गर्मी से डेली वर्कर्स, विशेषकर डिलीवरी कर्मियों, ईंट-भट्ठों पर काम करने वालों और दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए कामकाजी परिस्थितियां गंभीर हो गई हैं।…

बिना स्वतंत्र मीडिया के स्वस्थ लोकतंत्र को सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं

राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते राजनेताओं और मीडिया घरानों के बीच सांठगांठ के परिणामस्वरूप अक्सर पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग होती है और असहमति की आवाज़ों का दमन होता है। धमकियाँ और हमले: पत्रकारों…

अयोध्या का ‘नया अध्याय’: आस्था का संगीत, इतिहास का दर्पण

अयोध्या की पावन धरती पर, सरयू नदी के मधुर स्वर के साथ गुंजायमान श्री राम जन्मभूमि मंदिर की भव्यता आस्था का एक ऐसा महाकाव्य प्रस्तुत करती है, जिसके स्वर सदियों…

सौंदर्य और प्रेम का उत्सव है हरियाली तीज

श्रावण का महीना महिलाओं के लिए विशेष उल्लास का महीना होता है। इस महीने में आने वाले अधिकांश लोक पर्व महिलाओं द्वारा ही मनाए जाते हैं। श्रावण मास के शुक्ल…

आखिर क्यूं बरी हो जाते हैं गंभीर मामलों के दोषी ?

देश का जूडिशरी सिस्टम अभी भी तेज गति से काम नहीं कर रहा है जिसका रिज्लट अपराधियों के बरी हो जाने के तौर पर सामने आता है। अदालत में जो…