चरखी दादरी जयवीर फौगाट,
10 दिसंबर, जिला के गांव कारी धारणी में शनिवार को शोरा नहर टूटने 25 से 30 एकड़ फसलें जलमग्न हो गई। किसानों ने सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण नहर टूटने के आरोप लगाए है। किसानों ने बर्बाद हुई फसलों के लिए प्रशासन से मुआवजे की मांग की है। सूचना मिलने पर विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।
शनिवार सुबह कारी धारणी के किसान जब नहर की साइड अपने खेतों की ओर घूमने गए तो देखा कि नहर टूटने के कारण खेतों में पानी भरा हुआ है। जिसकी सूचना सिंचाई विभाग को दी गई। किसानों का आरोप है कि सूचना के बाद भी विभाग के अधिकारी काफी देर तक मौके पर नहीं पहुंचे और ना ही पानी को पीछे से बंद करवाया गया जिसके कारण नुकसान और अधिक हुआ है। किसानों का ये भी आरोप है कि करीब एक सप्ताह पहले नहर की छंटाई का कार्य किया गया था उस दौरान छंटाई के लिए पोपलैंड को नहर के अंदर उतारा गया था जिससे कई स्थानों पर नहर नीचे धंस गई थी और कंडम होने के कारण अब नहर टूट गई है। जिससे किसान बंटी, रामपाल धारणी, मांगेराम, भूपेंद्र, महावीर, जागेराम, कृपाराम, भल्लेसिंह, राजपाल, सतपपाल, महेंद्र, रणधीर, देंवेंद्र, रविंद्र, मदन आदि की करीब 25 से 30 एकड़ में गेहूं व सरसों की फसलें जलमग्न हो गई। फसलें बर्बाद होने के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ है। वहीं नहर टूटने से एक बोरवैल भी पानी की चपेट में आ गया है जिससे किसान को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं सूचना के बाद विभाग के अधिकारी भी निरीक्षण के लिए मौके पर पहुुंचे। नहर टूटने के कारण जलभराव होने से प्रभावित किसानों ने प्रशासन से मुआवजे की मांग की है।
प्रशासन से मिलकर लगाएंगे गुहार:
किसान रामपाल धारणी ने कहा कि नहर टूटने से दर्जभर से अधिक किसानों की फसलें बर्बाद होने के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है। सभी किसान प्रशासन से मिलकर मुआवजे की गुहार लगाएंगे ताकि उनकी बर्बाद फसलों के नुकसान की भरपाई हो सके।
नहीं हुआ नुकसान : एसडीओ
सिंचाई विभाग के एसडीओ भोगन सिंह ने कहा कि नहर करीब 50 साल पुरानी होने व वहा लगे कीकर के पेड़ की जड़ के कारण टूटी है। सूचना मिलते ही वे स्वयं जेई, बेलदार व पूरी टीम के साथ मौके पर पहुंचे थे और नहर पाटने का कार्य शुरू करवा दिया था। एसडीओ का कहना है कि नहर टूटने से तीन से चार एकड़ में पानी भरा था और रेतीली मिट्टी होने के कारण पानी को अवशोषित कर लिया गया है जिससे फसलों में किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं है।