मानवीय जीव में जन्म से ही भरपूर कौशलताएं समाई हुई है बस पहचान कर निखारने की ज़रूरत

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

मनुष्य को भगवान ने इस पृथ्वी पर सबसे अनमोल रत्नों में से एक रत्न के रूप में भेजा है। मनुष्य में अनेक ऐसे गुण समाए हुए हैं, जिनका उपयोग करके वह हर दिन सफलता के नए आयाम स्थापित कर सकता है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम इन गुणों को पहचानें और उन्हें साकार रूप में प्रस्तुत करें। इस लेख में हम दो अनमोल गुणों -चुप रहना और माफ करना- के महत्व पर चर्चा करेंगे।

चुप रहना – सबसे बड़ा जवाब

“चुप रहना और माफ करना, दो अनमोल हीरे हैं।” यह एक महान सत्य है कि कभी-कभी चुप रहना सबसे बेहतर जवाब हो सकता है। बड़े बुजुर्गों की कहावत है, “बोलत बोलत बड़े बिखात,” यानी अधिक बोलने से केवल उलझनें बढ़ती हैं और कभी-कभी हिंसा तक की स्थिति बन जाती है। इसलिए, चुप रहना सदैव अधिक सटीक और प्रभावी होता है। दूसरी कहावत “अति का भला न बोलना, अति की भली न चुप,” भी यह बताती है कि कभी-कभी अत्यधिक चुप रहना भी समस्या उत्पन्न कर सकता है, खासकर जब किसी अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठानी हो।

चुप रहने के कई फायदे हैं। यह हमें एक अच्छा श्रोता और समीक्षक बनाता है। जब हम बोलने के बजाय सुनते हैं, तो हम अधिक समझ और तर्कपूर्ण फैसले ले सकते हैं। चुप रहना हमारे दिमाग को शांत करता है, जिससे हम अपने तर्क और विचारों को बेहतर तरीके से संकलित कर सकते हैं। यही कारण है कि चुप रहने की शक्ति को स्वीकार करते हुए, हमें यह याद रखना चाहिए कि कभी भी हम बिना तथ्य के न बोलें, और शब्दों से किसी को ठेस न पहुंचाएं।

माफ करना – जीवन में शांति का मार्ग

अब बात करते हैं एक और महान गुण, माफ करने की। माफ करना एक ऐसी प्रक्रिया है, जो न केवल सामने वाले व्यक्ति को शांति देती है, बल्कि हमारे अपने दिल और दिमाग को भी राहत देती है। यह सबसे कठिन कार्यों में से एक हो सकता है, खासकर जब किसी ने हमें नुकसान पहुंचाया हो, लेकिन यह उतना ही जरूरी है।

जो लोग हमें धोखा देते हैं या हमें दुख पहुंचाते हैं, उन्हें माफ करना हमारे भीतर की महानता को दर्शाता है। यदि हम माफ करने की कला में निपुण हो जाएं, तो हम अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। “क्षमा दान महादान” एक प्रसिद्ध कहावत है, जो यह बताती है कि माफ करने से न केवल सामने वाले व्यक्ति को सुधार मिलता है, बल्कि हम खुद भी मानसिक शांति प्राप्त करते हैं। माफी का असल फायदा खुद हमें होता है, क्योंकि यह नकारात्मक भावनाओं से मुक्ति दिलाता है और हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, यह स्पष्ट है कि मनुष्य में अनमोल गुणों का भंडार छिपा हुआ है। यदि हम इन गुणों का सही तरीके से उपयोग करें, तो हम अपनी ज़िन्दगी में कई सफलताएं प्राप्त कर सकते हैं। चुप रहना और माफ करना दो ऐसे गुण हैं, जो हमें जीवन में सच्चे विजेता बना सकते हैं। चुप रहकर हम अपने निर्णयों और विचारों को समझदारी से लागू कर सकते हैं, जबकि माफ करने से हम अपने भीतर शांति और संतुलन ला सकते हैं।इसलिए, हमें अपनी क्षमताओं को पहचानकर उन्हें निखारने की आवश्यकता है। इन अनमोल गुणों का प्रयोग करके हम अपने जीवन को सच्चे अर्थों में सफल बना सकते हैं।

*-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी,गोंदिया,महाराष्ट्र साहित्यकार, अंतरराष्ट्रीय लेखक, चिंतक, कवि,संगीत माध्यमा, सीए (एटीसी), एडवोकेट

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