महाशिवरात्रि पर महाकुंभ संगम स्नान कई माइनों में अहम होने की मान्यता है, इस दिन सात ग्रहों के परेड से विश्व में शांति सद्भाव व खुशहाली होगी

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

महाशिवरात्रि और महाकुंभ का दिव्य संयोग

महाकुंभ पर महाशिवरात्रि का पड़ना एक दुर्लभ महासंयोग है। इस दिन आसमान में सात ग्रहों की परेड दिखाई देगी, जो एक अद्भुत और दुर्लभ खगोलीय घटना है। ऐसा मान्यता है कि इस महासंयोग से विश्व में शांति, सद्भाव और खुशहाली आएगी।

महाकुंभ और संगम स्नान का महत्व

गोंदिया (महाराष्ट्र) के एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी के अनुसार, 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चल रहे इस अद्भुत महाकुंभ में करीब 70 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की संभावना है। महाशिवरात्रि के दिन इस पावन अवसर का अंतिम स्नान होगा, जो अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। यह संयोग 144 वर्षों के बाद बन रहा है, जिससे इसकी धार्मिक महत्ता और अधिक बढ़ जाती है।

महाकुंभ और महाशिवरात्रि का महासंयोग

महाकुंभ एक दिव्य और पवित्र आयोजन है, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। ऐसा अनुमान है कि 26 फरवरी तक 70 करोड़ से अधिक श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर चुके होंगे। महाशिवरात्रि का इस महाकुंभ से महासंयोजन इसे और भी दिव्य बना देता है। आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार, त्रिवेणी संगम में स्नान का महत्व हमेशा रहता है, परंतु महाशिवरात्रि और महाकुंभ का संयोग एक अत्यंत दुर्लभ अवसर है। यह महासंयोग 144 वर्षों बाद आया है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती है। यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। 2025 में यह तिथि 26 फरवरी को आएगी। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए इसे शिव की महान रात्रि कहा जाता है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और शिवलिंग का जल, बेलपत्र, दूध और फल से अभिषेक करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से संपूर्ण पापों से मुक्ति मिलती है।

महाशिवरात्रि का वैश्विक उत्सव
महाशिवरात्रि न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।

भारत के प्रमुख स्थान:

तमिलनाडु: तिरुवन्नामलाई के अन्नामलाईयर मंदिर में विशेष गिरिवलम यात्रा होती है।
उत्तर भारत: काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, उज्जैन महाकालेश्वर जैसे ज्योतिर्लिंगों में भव्य आयोजन होते हैं।
कर्नाटक: मुरुदेश्वर, गोकर्ण और धर्मस्थल में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है।
आंध्र प्रदेश व तेलंगाना: पंचराम मंदिरों (अमरारामम, सोमारामम, द्रक्षरामम, कुमारराम, क्षीराराम) में विशेष पूजा होती है।
हिमाचल प्रदेश: मंडी महाशिवरात्रि मेले में 200 से अधिक देवी-देवताओं की शोभायात्रा निकाली जाती है।
कश्मीर: शिवरात्रि को ‘हेराथ’ के रूप में मनाया जाता है।
नेपाल: पशुपतिनाथ मंदिर में हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं। सेना दिवस भी इसी दिन मनाया जाता है।

पाकिस्तान: कराची के श्री रत्नेश्वर महादेव मंदिर में हजारों भक्त शिवरात्रि का पर्व मनाते हैं।
अन्य देश: मॉरीशस, त्रिनिदाद, गुयाना और इंडो-कैरिबियन समुदायों में शिवरात्रि विशेष रूप से मनाई जाती है।

महाशिवरात्रि 2025 का अद्भुत संयोग

26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के साथ महाकुंभ का अंतिम स्नान होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन संगम तट पर भव्य पूजा और स्नान अनुष्ठान होंगे, जिससे विश्व में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। यह दिव्य अवसर न केवल धार्मिक बल्कि खगोलीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहेगा।

निष्कर्ष

अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025-महाशिवरात्रि पर महाकुंभ में अमृत स्नान जैसे महासंयोग से दुनियाँ होगी खुशहाल। महाकुंभ पर महाशिवरात्रि एक महासयोंग,इस दिन आसमान में सात ग्रह परेड करते दिखाई देंगे, जो अद्भुत दुर्लभ भौगोलिक घटना है।महाशिवरात्रि पर महाकुंभ संगम स्नान कई माइनों में अहम होने की मान्यता है, इस दिन सात ग्रहों के परेड से विश्व में शांति सद्भाव व खुशहाली होगी।

–संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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