व्हाइट हाउस में पहली बार हाई-वोल्टेज ड्रामा – जेलेंस्की और ट्रंप कैमरे के सामने भिड़े, पूरी दुनिया हैरान!
दुनियाँ के इतिहास में पहली बार मेज़बान व मेहमान राष्ट्रपति ऑन द कैमरा हदें पार शाब्दिक भिड़ंत-मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर बहुत बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले सटीक साबित
– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

वैश्विक कूटनीति में ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि किसी राष्ट्राध्यक्ष की आधिकारिक बैठक इस हद तक गर्मा जाए कि वह सार्वजनिक अपमान में बदल जाए। लेकिन अमेरिका के व्हाइट हाउस में 28 फरवरी 2025 को जो हुआ, उसने इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ दिया। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच ऑन-कैमरा हुई तीखी बहस ने दुनिया को हिला कर रख दिया।
राजनयिक मर्यादा की हदें पार
दुनिया के किसी भी देश को अपनी अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और अन्य जरूरतों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होती है। इसी के तहत यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में एक बैठक तय थी। यह बैठक खास तौर पर यूक्रेन के खनिज संसाधनों और रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बातचीत के लिए थी।
हालांकि, यह मुलाकात बेहद अप्रत्याशित मोड़ पर चली गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप ने जेलेंस्की पर रूस के साथ शांति वार्ता का दबाव डाला, लेकिन जब जेलेंस्की ने यूक्रेनी हितों के खिलाफ कोई समझौता करने से इनकार किया, तो ट्रंप का गुस्सा फूट पड़ा। इस दौरान उन्होंने जेलेंस्की को “स्टुपिड प्रेसिडेंट” कहा और “गेट आउट” शब्दों के साथ उन्हें ओवल ऑफिस से बाहर निकलने को कह दिया।
दुनिया के लिए अकल्पनीय दृश्य

यह घटना अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बन गई। राजनयिक हलकों में इस बात को लेकर जबरदस्त हलचल है कि अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश अपने सहयोगी के साथ इस तरह का व्यवहार कैसे कर सकता है। रूस की प्रतिक्रिया भी चौंकाने वाली रही—रूसी सरकार और मीडिया ने जेलेंस्की की इस स्थिति पर खुशी जताई। रूसी प्रवक्ता ने उन्हें “स्कंबैग” (निकृष्ट व्यक्ति) तक कह दिया और कहा कि उन्हें वही मिला, जिसके वे लायक थे।
ट्रंप का रुख – समझौता या धमकी?
ट्रंप ने इस घटना के बाद अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनका मकसद रूस-यूक्रेन युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करना है। उनका मानना है कि जेलेंस्की इस युद्ध को बेवजह खींच रहे हैं और अमेरिका हमेशा यूक्रेन की मदद नहीं कर सकता। यह बयान अमेरिका की विदेश नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है। इससे पहले जो बाइडेन प्रशासन यूक्रेन की हरसंभव मदद कर रहा था, लेकिन ट्रंप की नीति इससे पूरी तरह अलग दिख रही है।
“बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले” – मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर हुआ सटीक

इस पूरे घटनाक्रम के बाद जेलेंस्की की स्थिति बेहद असहज हो गई। वे जिस उम्मीद से अमेरिका गए थे, वह पूरी तरह धराशायी हो गई। ट्रंप ने तो उन्हें न केवल सरेआम अपमानित किया बल्कि उनके लिए भोजन तक की व्यवस्था नहीं की। कहा जा रहा है कि जेलेंस्की को बिना खाना खिलाए ही व्हाइट हाउस से जाने के लिए कह दिया गया। यह राजनयिक प्रोटोकॉल के सभी नियमों के खिलाफ था।
इस घटना का वैश्विक प्रभाव
इस अप्रत्याशित घटना के कई गंभीर प्रभाव देखने को मिल सकते हैं:
- यूक्रेन पर बढ़ता दबाव – अमेरिका की नई स्थिति के कारण जेलेंस्की को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक संघर्ष करना पड़ सकता है।
- रूस को मिलेगा फायदा – अगर अमेरिका ने यूक्रेन की आर्थिक और सैन्य मदद कम कर दी, तो रूस को अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिल सकता है।
- यूरोपियन यूनियन की भूमिका बढ़ेगी – अमेरिका के समर्थन में कमी आने से यूरोप को अपने दम पर यूक्रेन की मदद करनी होगी।
- ट्रंप की विदेश नीति पर सवाल – उनके इस रवैये से दुनिया में यह संदेश जा सकता है कि अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ भी सख्ती से पेश आता है।
यूक्रेन के समर्थन में उतरे देश
इस विवाद के बाद कई यूरोपीय देशों ने जेलेंस्की का समर्थन किया:
- ऑस्ट्रिया: चांसलर कार्ल नेहमर ने कहा कि यूक्रेन तीन साल से रूस के खिलाफ संघर्ष कर रहा है और उसे न्यायपूर्ण समाधान चाहिए।
- कनाडा: प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि यूक्रेन लोकतंत्र, आज़ादी और संप्रभुता की लड़ाई लड़ रहा है।
- फ्रांस: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने जेलेंस्की के साहस की सराहना करते हुए कहा कि रूस आक्रामक है और यूक्रेन पीड़ित।
- जर्मनी: चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने कहा कि युद्ध समाप्त करने के लिए सबसे ज्यादा इच्छुक अगर कोई है, तो वह यूक्रेन ही है।
- यूरोपीय संघ: यूरोपीय कमीशन प्रेसिडेंट उर्सुला फॉन डेर लियेन और यूरोपियन काउंसिल प्रेसिडेंट एंटोनियो कोस्टा ने यूक्रेन के समर्थन में बयान जारी किए।
निष्कर्ष
व्हाइट हाउस में ट्रंप और जेलेंस्की की ऑन-कैमरा हुई ऐतिहासिक भिड़ंत ने दुनिया को स्तब्ध कर दिया है। यह पहला मौका था जब किसी मेजबान राष्ट्रपति ने अपने मेहमान राष्ट्रपति को इस तरह खुलेआम अपमानित किया। यह घटना न केवल अमेरिका-यूक्रेन संबंधों के लिए बल्कि वैश्विक कूटनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
इस पूरे घटनाक्रम ने “मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर बहुत बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले” को पूरी तरह चरितार्थ कर दिया है।सं
संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार मीडिया विशेषज्ञ साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र