चंडीगढ़,रेवाड़ी, 8 मार्च 2025 – स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा बजट सत्र में माननीय राज्यपाल के अभिभाषण को नवम्बर 2024 में हुए चुनाव के बाद विधानसभा में दिए गए अभिभाषण की पुनरावृत्ति करार दिया। उन्होंने कहा कि बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण में कोई नई घोषणा नहीं थी, बल्कि वही पुराने और घिसे-पिटे जुमले दोहराए गए, जो लोकसभा चुनाव के बाद से मुख्यमंत्री, मंत्री और भाजपा नेता लगातार बोलते आ रहे हैं।

विरोधाभासी दावे और जमीनी हकीकत

राज्यपाल का बजट सत्र अभिभाषण विरोधाभासी दावों से भरा पड़ा है। एक ओर कहा जा रहा है कि हरियाणा में प्रति व्यक्ति आय 3 लाख रुपये से अधिक है, जबकि दूसरी ओर 2.80 करोड़ की जनसंख्या में से 2.13 करोड़ लोग परिवार पहचान पत्र के अनुसार गरीबी रेखा से नीचे हैं। सरकार के अनुसार प्रदेश में 51 लाख परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं, लेकिन सिर्फ 13 लाख घरों को 500 रुपये प्रति सिलेंडर पर रसोई गैस देने की योजना बनाई गई है। यह सरकारी दावों और वास्तविकता के बीच की गहरी खाई को दर्शाता है।

बजट का अपर्याप्त उपयोग

सरकार तीव्र विकास के दावे कर रही है, लेकिन 2024-25 के बजट में विभिन्न विभागों को आवंटित राशि का 25% भी खर्च नहीं किया गया। स्थिति यह है कि:

  • डी-प्लान के 400 करोड़ रुपये में से मात्र 100 करोड़ रुपये ही खर्च हुए।
  • गांवों के विकास के लिए आवंटित धन का केवल 45% ही उपयोग हुआ।
  • शहरी विकास के लिए निर्धारित बजट का मात्र 50% ही खर्च किया गया।

एमएसपी पर 24 फसल खरीदने का दावा महज जुमला

भाजपा सरकार लगातार 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने का दावा कर रही है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कर पा रही कि ये फसलें किस किसान से और कहां खरीदी गईं। यह सरकार की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है।

बेरोजगारी और गरीबी के बीच विकास का दावा संदेहास्पद

जब हरियाणा में बेरोजगारी और गरीबी बढ़ रही है, तो सवाल उठता है कि यह तथाकथित विकास कहां और किसका हो रहा है? सरकार के विकास के दावे जमीनी सच्चाई से मेल नहीं खाते।

लंबित परियोजनाओं पर केवल घोषणाएं

भाजपा सरकार बीते 8 वर्षों से रेणुका, किसाऊं, लाखवाड़ और व्यासी बांध बनाने के वादे कर रही है, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यह साफ दर्शाता है कि सरकार केवल घोषणाएं कर रही है, लेकिन अमल करने में पूरी तरह विफल रही है।

निष्कर्ष

वेदप्रकाश विद्रोही के अनुसार, हरियाणा सरकार के बजट और योजनाओं में भारी विसंगतियां हैं। सरकार के विकास के दावे सिर्फ भाषणों तक सीमित हैं, जबकि जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां करती है। जब तक सरकार वास्तविक रूप से कार्य नहीं करती, तब तक जनता को केवल आश्वासनों से संतुष्ट करने का प्रयास व्यर्थ रहेगा।

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