महिला दिवस की शुभकामनाएं और सम्मान

रेवाड़ी : स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने विश्व महिला दिवस पर सभी महिलाओं को हार्दिक बधाई देते हुए सादर प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता-संस्कृति में महिलाओं को मातृशक्ति का दर्जा सदियों से मिलता रहा है, किंतु जमीनी स्तर पर महिलाओं को वह सम्मान और भागीदारी नहीं मिल रही है, जिसकी वे हकदार हैं।
महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध चिंता का विषय
विद्रोही ने कहा कि देश में लिंग भेद और भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएं आज भी जारी हैं। महिलाओं के प्रति अपराध और छेड़छाड़ की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में महिला दिवस पर सभी पुरुषों को आत्मविश्लेषण करने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी से महिला सम्मान और अस्मिता की रक्षा की शपथ लेने और हर क्षेत्र में महिलाओं को समान भागीदारी देने का संकल्प लेने का आग्रह किया।
हरियाणा: महिलाओं के लिए असुरक्षित प्रदेश?
विद्रोही ने हरियाणा में महिला अपराधों की भयावह स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हरियाणा देश की ‘रेप राजधानी’ बन चुका है।
- बच्चियों से रेप के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
- महिला अपराधों में रिकॉर्डतोड़ वृद्धि हो रही है।
- गैंगरेप और यौन हिंसा की घटनाएं आम हो गई हैं।
- अपराधियों को सजा दिलवाने के मामलों में कमी आ रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हरियाणा में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ: महज एक नारा?
विद्रोही ने कहा कि केवल ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने भर से महिला सम्मान और अस्मिता की रक्षा नहीं हो सकती। इसके लिए व्यवहारिक कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि महिला सम्मान की शुरुआत घर से होनी चाहिए।
- हमें अपनी बहन-बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- उनकी निजी स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।
- महिलाओं को समान अधिकार और अवसर देने चाहिए।
भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं की स्थिति
विद्रोही ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के प्रति अपराध और यौन शोषण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि:
- भाजपा-संघ के कई नेता इन घटनाओं में सीधे संलिप्त हैं या अपराधियों को सत्ता का संरक्षण दे रहे हैं।
- भाजपा के कई चुने हुए विधायक और सांसदों पर रेप के आरोप लगे हैं, लेकिन पार्टी ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
- कोर्ट के दबाव के बाद ही ऐसे मामलों में कार्रवाई होती है।
महिला दिवस के अवसर पर दिखावे का औचित्य?
विद्रोही ने कहा कि जब भाजपा शासन में अपराधियों को खुला संरक्षण मिलता है, तो हर वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस पर बड़े-बड़े दावे करने का कोई औचित्य नहीं बचता। उन्होंने कहा कि सिर्फ नारों और भाषणों से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई से ही महिलाओं का सशक्तिकरण संभव है।
निष्कर्ष
विद्रोही ने कहा कि महिला दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का अवसर होना चाहिए। महिलाओं को सुरक्षित वातावरण, समान अवसर और न्याय दिलाने के लिए सरकार को वास्तविक प्रयास करने होंगे। केवल तब ही महिला दिवस का वास्तविक उद्देश्य पूरा होगा।