होलिका दहन: नकारात्मकता का अंत, भाईचारे का आरंभ

अधर्म पर धर्म की विजय हमें आपसी भाईचारे, सद्भाव, सौहार्द और मानवीय सामाजिक समरसता से ही मिलेगी

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

भारत में त्योहारों की परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। हर साल होली का त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, जिसे रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। इस बार होली 14 मार्च 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी, जबकि एक दिन पहले 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा।

धर्म और अधर्म की लड़ाई का प्रतीक

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षस राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। इसे रोकने के लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया, जिसे वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। लेकिन जब होलिका ने प्रह्लाद को मारने के लिए उसे गोद में लेकर अग्नि में प्रवेश किया, तो स्वयं जलकर भस्म हो गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। यह घटना धर्म की अधर्म पर जीत का प्रतीक बनी।

दूसरी ओर, रंगों वाली होली राधा-कृष्ण के पावन प्रेम का प्रतीक मानी जाती है। आधुनिक समय में होली के वैज्ञानिक और पर्यावरणीय पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाता है।

2025 की होली और रमजान का संयोग

इस बार होली रमजान के दूसरे सप्ताह के शुक्रवार को पड़ रही है। इसे देखते हुए प्रशासन और नागरिकों को विशेष सतर्कता बरतनी होगी। मुस्लिम समुदाय द्वारा प्रशासन की गाइडलाइनों का पालन करने पर जोर दिया गया है ताकि दोनों त्योहार शांतिपूर्वक संपन्न हो सकें।

मुस्लिम कमेटियों द्वारा निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं:

(1) मुस्लिम भाई अपने घर के पास की मस्जिद में ही जुमे की नमाज अदा करें।
(2) होली खेलते हुए रास्तों से बचें और वैकल्पिक मार्ग अपनाएं।
(3) मिश्रित आबादी वाली मस्जिदों में दो शिफ्ट में नमाज अदा करने पर विचार करें।
(4) सड़कों पर नमाज न पढ़ें, बल्कि मस्जिदों के अंदर ही व्यवस्था करें।
(5) किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और आपसी भाईचारा बनाए रखें।
(6) गरीबों, जरूरतमंदों की मदद करें और देश की शांति व समृद्धि के लिए दुआ करें।
(7) इबादत का माहौल बनाए रखें और अनुशासन में रहें।

रेलवे प्रशासन की विशेष तैयारियां

होली के दौरान रेलवे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) ने सुरक्षा कड़ी कर दी है। ट्रेनों और स्टेशनों पर हुड़दंग रोकने के लिए निगरानी बढ़ा दी गई है। ग्रामीणों को भी संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने के लिए जागरूक किया गया है।

होली खेलने के नियम और मर्यादा

क्या करें?

(1) गुलाल, फूल और साफ पानी का प्रयोग करें।
(2) पहले अपने इष्ट देवता को रंग लगाएं, फिर बड़ों को
(3 ) सम्मानपूर्वक गुलाल लगाएं।
(5) राधा-कृष्ण और शिव-पार्वती की विधिवत पूजा करें।
(6) दान-पुण्य करें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
(7) अपने शत्रुओं को भी क्षमा कर प्रेम और सौहार्द से मिलें।

क्या न करें?

(1) विवाद या झगड़ा न करें।
(2) किसी का अपमान न करें और अपशब्दों से बचें।
(3) नशीले पदार्थों और तामसिक भोजन से दूर रहें।
(4) सार्वजनिक स्थानों पर अनावश्यक रूप से न घूमें।

होली का संदेश: बुराइयों का अंत, सद्भाव का संकल्प

होली हमें सिखाती है कि अधर्म और असत्य कितना भी बलशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की जीत होती है। यह पर्व हमें नकारात्मकता और बुराइयों को जलाकर आपसी भाईचारे और सामाजिक समरसता को मजबूत करने का संदेश देता है।

इस वर्ष होली के अवसर पर हम सभी संकल्प लें कि अपने समाज में सौहार्द, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देंगे और भारत को 2047 तक एक सशक्त राष्ट्र बनाने में योगदान देंगे।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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