गोंदिया – होली का रंगोत्सव केवल उल्लास का नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और सुरक्षा का भी प्रतीक है। एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी का कहना है कि हमें इसे जिम्मेदारी और सतर्कता के साथ मनाना चाहिए, ताकि यह पर्व सभी के लिए सुखद और सुरक्षित रहे।

होली मनाते समय बरतें ये सावधानियां (सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार)

सरकारी नियमों का पालन करें – ध्वनि प्रदूषण, आगजनी और सार्वजनिक स्थलों पर हुड़दंग से बचें।
प्राकृतिक और हर्बल रंगों का इस्तेमाल करें – रासायनिक रंग त्वचा, आंखों और पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
त्वचा और बालों की सुरक्षा करें – होली खेलने से पहले शरीर पर तेल या मॉइस्चराइजर लगाएं और बालों को ढकें।
आंखों और स्वास्थ्य का ध्यान रखें – रंग या पानी आंखों में जाने पर तुरंत साफ पानी से धोएं और जलन होने पर डॉक्टर से सलाह लें।
अतिरिक्त नशे से बचें – शराब, भांग या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने से दुर्घटनाएं बढ़ सकती हैं।
सतर्कता और अनुशासन बनाए रखें – जबरदस्ती रंग न लगाएं और दूसरों की सहमति का सम्मान करें।
स्वच्छता का ध्यान रखें – प्लास्टिक और पानी की बर्बादी से बचें, सार्वजनिक स्थलों को गंदा न करें।
बाजार की मिलावटी मिठाइयों से सतर्क रहें – शुद्ध और घर पर बने खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
दंगों और झगड़ों से दूर रहें – यह भाईचारे और प्रेम का पर्व है, इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से मनाएं।
अग्नि सुरक्षा का पालन करें – होलिका दहन करते समय अग्नि से सुरक्षित दूरी बनाए रखें और किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए सतर्क रहें।

होली का असली संदेश – प्रेम और सौहार्द

होली न केवल रंगों का, बल्कि धर्म पर अधर्म की जीत, बुराइयों के दहन और आपसी भाईचारे को मजबूत करने का पर्व है। इस अवसर पर हम सबको एकजुट होकर सकारात्मकता, प्रेम और सामाजिक समरसता का संकल्प लेना चाहिए।

आइए, इस होली को जिम्मेदारी, सुरक्षा और भाईचारे के साथ मनाएं!

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