सिविल सर्वेंट को भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने का संकल्प राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस पर लेना ज़रूरी
सिविल सेवकों को जनता के प्रति अपनी सेवा में ईमानदारी दक्षता और जवाबदेही पूर्ण रूप से समझ में आ गई, तो भारत फिर सोने की चिड़िया बनेगा
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

भारत, जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, उसमें सुशासन की रीढ़ मानी जाने वाली सिविल सेवाओं का योगदान अतुलनीय है। हर वर्ष 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस उन सेवकों को समर्पित होता है, जो शासन प्रणाली में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और ईमानदारी को बनाए रखने के लिए कर्तव्यनिष्ठ भाव से कार्य करते हैं।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध संकल्प का दिन:
आज जब देश की राजनीति में “20%, 40%, 50% कमीशन” जैसे आरोप गूंजते हैं, यह दिन हमें याद दिलाता है कि सिविल सेवकों को भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए। यदि ये सेवक पूर्ण ईमानदारी, दक्षता और जवाबदेही के साथ कार्य करें तो भारत एक बार फिर “सोने की चिड़िया” बनने की दिशा में अग्रसर हो सकता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस की नींव 21 अप्रैल 1947 को रखी गई थी, जब सरदार वल्लभभाई पटेल ने दिल्ली के मेटकाफ हाउस में आईएएस के प्रथम बैच को संबोधित किया था। उन्होंने सिविल सेवकों को भारत का “स्टील फ्रेम” करार दिया—जो देश की अखंडता और स्थिरता का प्रतीक है।

इस दिन का महत्व:
सिविल सेवकों द्वारा दी गई सेवाओं को सम्मानित करने का दिन
लोक प्रशासन में उत्कृष्टता हेतु प्रधानमंत्री पुरस्कार का वितरण
सेवकों को ईमानदारी, निष्पक्षता और जनहित में कार्य करने की प्रेरणा
देशभर में श्रेष्ठ प्रथाओं का आदान-प्रदान
सिविल सेवाओं की भूमिका:
सिविल सेवाएं राष्ट्र निर्माण की नींव हैं। वे नीतियों के क्रियान्वयन, कानून-व्यवस्था बनाए रखने, जनकल्याण योजनाओं के संचालन और सरकार और जनता के बीच सेतु का कार्य करती हैं। आपदाओं में भी ये सेवक अग्रिम पंक्ति में कार्यरत रहते हैं।

सिविल सेवकों की चुनौतियां:
लालफीताशाही…..राजनीतिक हस्तक्षेप…..संसाधनों की कमी…..तकनीकी बदलावों के साथ तालमेल……बढ़ते जन अपेक्षाएं
इन बाधाओं के बावजूद, सच्चे सिविल सेवक राष्ट्र सेवा में अपने कर्तव्य से आगे बढ़कर कार्य करते हैं।
भविष्य की राह:
राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2025 हमें यह सोचने पर विवश करता है कि भविष्य की सिविल सेवा कैसी हो? उत्तर है—जन-केंद्रित, पारदर्शी, नवाचारी और उत्तरदायी। इसके लिए ICT का समावेश, प्रशिक्षण का सशक्तीकरण और जवाबदेही की स्पष्ट प्रणाली अनिवार्य है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस न केवल सिविल सेवकों के कार्यों की सराहना करने का अवसर है, बल्कि यह हमें ईमानदारी, प्रतिबद्धता और निष्पक्षता के मूल्यों की पुनः याद दिलाता है। जब सिविल सेवक अपने सेवा धर्म को गहराई से आत्मसात करेंगे, तब भारत वैश्विक स्तर पर सुशासन का आदर्श बन सकेगा।
-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र