
गुरुग्राम, 22 अप्रैल — वर्ल्ड अर्थ डे के मौके पर जहां दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण की बातें हो रही हैं, वहीं गुरुग्राम के समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने एक तीखा सवाल उठाया है — “जब हम एक शहर गुरुग्राम को भी साफ नहीं रख पा रहे, तो पृथ्वी बचाने की बात कैसे करें?”
गुरुग्राम जैसे विकसित शहर में बुनियादी समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई हैं। सफाई व्यवस्था, अवैध कब्जे, प्रदूषण, सीवर जाम और दूषित पानी जैसी समस्याएं शहर की सच्चाई बयान करती हैं।
“हर साल ए़क्यूआई बढ़ता है, छुट्टियां होती हैं – पर समाधान कब?”

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि हर साल वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है। प्रशासन केवल स्कूल बंद करने जैसा तात्कालिक निर्णय लेता है, लेकिन स्थायी समाधान की ओर कोई कदम नहीं बढ़ाया जाता।
बंधवाड़ी में आग, धुआं और बदबू – लोग परेशान
बंधवाड़ी कचरा पहाड़ में आए दिन लगने वाली आग से आसपास की कॉलोनियों और गांवों के लोग धुंए व बदबू से परेशान हैं। सिंह ने कहा कि वर्षों से यह समस्या चली आ रही है, लेकिन न तो कोई ठोस नीति बनी और न ही समाधान निकाला गया।
अवैध कब्जों पर चुप्पी क्यों?

उन्होंने आरोप लगाया कि बीते दस वर्षों में पार्कों और ग्रीन बेल्ट की जमीनों पर अवैध कब्जे हुए हैं। यह जमीनें पर्यावरण संरक्षण के लिए सुरक्षित रखी गई थीं। सिंह ने सवाल उठाया कि पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह और जिला प्रशासन अब तक इन कब्जों पर कार्यवाही क्यों नहीं कर पाए? क्या कब्जाधारियों से सरकार डरती है?
सफाई व्यवस्था चरमराई हुई
गुरुग्राम में कूड़ा उठाने वाली गाड़ियाँ हर घर से शुल्क लेने के बावजूद नियमित नहीं आतीं। गलियों में सीवर ओवरफ्लो, नलों में गंदा बदबूदार पानी और सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक में विफलता साफ दर्शाती है कि प्रशासन सो रहा है।
“अर्थ डे तभी सार्थक जब शहर स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त हो”
गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि यदि सरकार और प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो पर्यावरण दिवस केवल औपचारिकता बनकर रह जाएगा। उन्होंने आग्रह किया कि पर्यावरण मंत्री, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि तुरंत ठोस कदम उठाएं, तभी वर्ल्ड अर्थ डे जैसे दिवस का वास्तविक अर्थ सिद्ध होगा।