
1 मई 2025 | गुरुग्राम – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने केन्द्र सरकार द्वारा जनगणना 2021 के साथ जातिगत जनगणना कराने के निर्णय का स्वागत करते हुए इसे राहुल गांधी और INDIA गठबंधन की निरंतर मांग और दबाव का परिणाम बताया है।
विद्रोही ने कहा, “देश की जनता जानना चाहती है कि जनगणना 2021 कब कराई जाएगी और इसके अंतर्गत जातिगत जनगणना किस प्रक्रिया से की जाएगी? इसमें कौन-कौन से प्रश्न पूछे जाएंगे? सरकार को इन सवालों के स्पष्ट उत्तर देने चाहिए।”
उन्होंने स्मरण कराया कि 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और संघ परिवार जातिगत जनगणना के घोर विरोधी थे। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी द्वारा इस मुद्दे को चुनावी एजेंडे में शामिल करने पर भाजपा ने व्यक्तिगत हमले किए और जनगणना की मांग को ‘अर्बन नक्सल सोच’ बताकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया।
विद्रोही ने कहा, “29 अप्रैल 2024 को चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में जातिगत जनगणना की मांग को ‘अर्बन नक्सल सोच’ बताया था। और आज, ठीक 366 दिन बाद, उसी जातिगत जनगणना को केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृति देना यह प्रमाणित करता है कि सरकार ने यह निर्णय राहुल गांधी और कांग्रेस के दबाव में लिया है।”
उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर राहुल गांधी की भूमिका ऐतिहासिक है। “जब राहुल गांधी ने विपक्ष के नेता के रूप में लोकसभा में अपने पहले ही भाषण में जातिगत जनगणना की मांग की थी, तब भाजपा सांसदों ने उनका मजाक उड़ाया था — यह सब लोकसभा के रिकॉर्ड में दर्ज है। लेकिन आज पिछड़े, दलित, आदिवासी और वंचित वर्ग का हर व्यक्ति मानता है कि यदि जातिगत जनगणना का श्रेय किसी एक व्यक्ति को जाता है, तो वह राहुल गांधी हैं।”
विद्रोही ने विश्वास जताया कि जातिगत जनगणना की निष्पक्षता और उसकी पृष्ठभूमि में सभी वर्गों को उनके संख्या के अनुसार देश के संसाधनों में समान भागीदारी दिलाने की लड़ाई राहुल गांधी ही आगे भी मजबूती से लड़ेंगे।
अंत में उन्होंने कहा, “जातिगत जनगणना के आदेश के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि राहुल गांधी ही देश के दलित, पिछड़े, आदिवासी, शोषित, वंचित और गरीब वर्गों के सच्चे रक्षक और जननायक हैं।”