हिसार। मई 1.- नदियों के पानी के बदले खून बहाने की धमकी देकर पाकिस्तान ने यह कबूल कर लिया है कि पहलगाम हत्या कांड उसी की करतूत है।
पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा 25 पर्यटकों और एक घोड़ा मजदूर की निर्दयतापूर्वक हत्या पर आज वरिष्ठ नागरिकों की संस्था वानप्रस्थ में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय था: पहलगाम हत्याकांड और भारत की प्रतिक्रिया।

मुख्य वक्ता दूरदर्शन के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह थे जो आकाशवाणी के संवाददाता के तौर पर 19 वर्ष से अधिक समय जम्मू कश्मीर में बीता चुके हैं।
राज्य में आतंक की विस्तृत व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि सिंधु नदी जल समझौते को निलंबित करके भारत ने पाकिस्तान पर करारी चोट की है।यह सच है कि तुरंत प्रभाव से जल प्रवाह नहीं रोका जा सकता पर भविष्य में सिंचाई और बिजली उत्पादन की नई योजनाएं शुरू कर पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था पर करारी चोट की जा सकती है। पाकिस्तान विद्युत और सिंचाई योजनाओं पर बार बार आपत्तियां उठा कर इनके निर्माण में बाधा नहीं डाल सकेगा।
अजीत सिंह ने कहा कि देश में गुस्से और ग़म के माहौल को देखते हुए भारत को छोटा या बड़ा सैनिक अभियान तो चलाना ही पड़ेगा। विश्व जनमत और स्वयं कश्मीर में स्थानीय लोगों द्वारा घटना की निंदा और विरोध प्रदर्शन भी महत्वपूर्ण घटनाएं हैं।
कश्मीर में आतंकवादियों और उनके आका पाकिस्तान का खुलकर पहली बार विरोध हुआ है। अनेक कश्मीरी नेताओं ने इसे भाईचारे की कश्मीरियत की रिवायत और प्रदेश की अर्थव्यवस्था तथा अमन और प्रगति के माहौल पर हमला करार दिया है। आतंकवादियों के खिलाफ इस माहौल को मजबूत किया जाना चाहिए।
किसी को भी इस समय कश्मीरियों की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाने चाहिएं। घटना को लेकर किसी तरह का उन्माद भी नहीं होना चाहिए।
केंद्र सरकार को सभी पहलुओं पर विचार कर कोई फैसला करने देना चाहिए और सभी को इसका समर्थन करना चाहिए।
सभी राजनैतिक दलों को आपसी मतभेद भुलाकर केंद्र सरकार का समर्थन करना चाहिए।
यह समय आरोप लगाने , जांच और त्यागपत्र की मांग उठाने का नहीं, ये बातें बाद में हो सकती हैं। कश्मीर में आतंकवाद आखिरी सांस ले रहा है। वहां अब 76 आतंकवादी सक्रिय हैं जिनमें केवल 16 स्थानीय हैं और शेष पाकिस्तानी।
श्री अजीत सिंह ने कहा कि भारत को अमरीका से कहना चाहिए कि वह पाकिस्तान को दी जाने वाली 395 मिलियन डॉलर की सैनिक सहायता पर रोक लगाए। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स को भी पहले की तरह पाकिस्तान पर नज़र रखनी चाहिए कि वह आई एम एफ और अन्य वित्तीय संस्थाओं से कर्ज़ लेकर उसे सेना और आतंकवादी कार्यवाही पर खर्च न करे।
मुख्य भाषण के बाद अनेक सदस्यों ने विषय पर अपने विचार रखे और प्रश्न पूछे। इनमें एस एस लाठर, प्रो आर डी शर्मा, प्रो जे के डांग, डी पी ढुल, प्रो आर के पूनिया, प्रो ए एल खुराना, प्रो आर के जैन, प्रो सुनीता जैन, डॉ बी के सिंह, डी एन बेनीवाल, शामिल थे। वानप्रस्थ के नवनिर्वाचित प्रधान प्रो एस के अग्रवाल ने मुख्य वक्ता व सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया और कहा कि सामयिक विषयों पर विचार गोष्ठियों का सिलसिला जारी रहेगा।
गोष्ठी में पहलगाम हत्याकांड में शहीद पर्यटकों की याद में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।l