विश्लेषकों की राय में अमेरिकी विकास में महत्वपूर्ण मंदी है,परंतु अमेरिका में मंदी की आशंका नहीं है
अमेरिकी व्यापार नीति में आए बड़े बदलाव से उत्पन्न अनिश्चितता ने बाजारों को हिला दिया है,जिससे वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ी
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

गोंदिया महाराष्ट्र– वैश्विक स्तरपर आर्थिक अनिश्चितताओं ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ वॉर ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है। हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की अर्थव्यवस्था में मार्च 2025 तिमाही में 0.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो तीन वर्षों में पहली गिरावट है। इससे अमेरिका में मंदी की आशंका तेज हो गई है, हालांकि विशेषज्ञ इसे मंदी की शुरुआत नहीं मान रहे हैं। इस परिदृश्य में भारत के लिए संभावनाओं के नए द्वार खुल सकते हैं।
अमेरिका की आर्थिक स्थिति और टैरिफ वॉर का प्रभाव
पिछले कुछ महीनों से अमेरिका ने कई देशों पर रेसिप्रोकल टैक्स लगाए हैं, जिससे वैश्विक व्यापारिक संतुलन प्रभावित हुआ है। अमेरिका-चीन के बीच की टैरिफ जंग सबसे अधिक चर्चा में रही है, जिसमें अमेरिका ने 145% टैक्स और चीन ने 125% टैक्स लगाया। इस आर्थिक तनाव का प्रभाव अमेरिकी शेयर बाजार और उपभोक्ता खर्च पर भी देखने को मिला है।
मार्च 2025 की तिमाही में अमेरिका की GDP में 0.3% की गिरावट आई है, जबकि 2024 की अंतिम तिमाही में 2.4% की वृद्धि दर्ज की गई थी। विशेषज्ञों के अनुसार इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण भारी आयात है। टैरिफ वॉर के चलते अमेरिकी कंपनियों ने बड़ी मात्रा में वस्तुएं आयात कीं, जिससे GDP में गिरावट दर्ज की गई।
क्या अमेरिका मंदी की ओर बढ़ रहा है?

मंदी की पारंपरिक परिभाषा के अनुसार, लगातार दो तिमाही तक आर्थिक संकुचन होना आवश्यक होता है। 2025 की पहली तिमाही में गिरावट के बावजूद अमेरिका अभी आधिकारिक तौर पर मंदी में नहीं है। हालांकि, उपभोक्ता खर्च में कमी, उपभोक्ता भावना में गिरावट, नीति संबंधी अनिश्चितता, और मुद्रास्फीति जैसे संकेत मंदी की ओर इशारा कर रहे हैं।
गोल्डमैन सैक्स ने अमेरिका में मंदी की संभावना 45% आंकी है, वहीं जेपी मॉर्गन ने इसे बढ़ाकर 60% कर दिया है। ऐसे में आर्थिक विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है, लेकिन चिंता स्पष्ट रूप से मौजूद है।
मंदी से निपटने के लिए सुझाव
मंदी की संभावना को देखते हुए नागरिकों को कुछ वित्तीय उपायों पर ध्यान देना चाहिए:
- आपातकालीन कोष बनाएं: कम से कम 6 महीने के खर्च के लिए नकद को सुरक्षित रखें।
- खर्चों की समीक्षा करें: अनावश्यक खर्च और सब्सक्रिप्शन हटाएं।
- उच्च ब्याज ऋण से मुक्ति: क्रेडिट कार्ड जैसे महंगे ऋण जल्दी चुकाएं।
- बड़े खर्चों की योजना बनाएं: अप्रत्याशित खर्चों से बचाव करें।
- भावनात्मक संतुलन बनाए रखें: घबराएं नहीं और दीर्घकालिक योजनाओं पर टिके रहें।
एस एंड पी की रिपोर्ट और अमेरिका की भविष्यवाणी

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने 2025 के लिए अमेरिका की GDP वृद्धि दर को घटाकर 1.5% कर दिया है। हालांकि उसने यह भी कहा है कि यह बड़ी मंदी का संकेत नहीं है, लेकिन सतर्कता आवश्यक है।
भारत के लिए अवसर
ऐतिहासिक रूप से देखा गया है कि जब अमेरिका की अर्थव्यवस्था धीमी होती है, भारत की अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत स्थिर रहती है। फार्मा, आईटी सेवाएं, आभूषण, और पेट्रोलियम जैसे क्षेत्र अमेरिका की मंदी से कम प्रभावित होते हैं। अमेरिका पर भारत की सीमित निर्भरता उसे वैश्विक मंदी के बीच बेहतर स्थिति में बनाए रख सकती है।
निष्कर्ष
अमेरिका में 0.3% की आर्थिक गिरावट ने विश्व भर में चिंता की लहर पैदा कर दी है। जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह मंदी की शुरुआत नहीं है, फिर भी टैरिफ वॉर जैसी नीतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर बना रही हैं। भारत के लिए यह एक अवसर हो सकता है कि वह वैश्विक असंतुलन के बीच अपनी स्थिति मजबूत करे।
-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र