भारत का आईएमएफ को कड़ा संदेश, यह पैसा पाक की अर्थव्यवस्था को सुधारने नहीं बल्कि टेरर फंडिंग में उपयोग होगा 

191 सदस्यों वाले इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड,भारत पाक जंग के हालातो के बीच,इतनी बड़ी लोन राशि को स्वीकार करना कोई साजिश,रणनीति या सिफारिश?

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

 गोंदिया महाराष्ट्र 10 – 5- 2025–भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे तनावपूर्ण हालातों के बीच, इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने पाकिस्तान को 2.3 अरब डॉलर (लगभग 20 हजार करोड़ रुपये) का लोन मंजूर किया है। इस फैसले पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा है कि यह धन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सुधारने में नहीं, बल्कि सीमा पार आतंकवाद और टेरर फंडिंग में उपयोग हो सकता है।

यह लोन ऐसे समय में दिया गया है जब जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, गुजरात और पंजाब के कई शहरों में 26 से अधिक ड्रोन हमले हुए, जिन्हें भारतीय सुरक्षा तंत्र ने सफलतापूर्वक विफल किया। हमलों की जांच में पाया गया कि इनमें से कई ड्रोन तुर्की निर्मित थे। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पहले से ही अत्यंत नाजुक है—उसका विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 10.33 अरब डॉलर है, जबकि भारत का भंडार 686 अरब डॉलर है।

आईएमएफ लोन: एक आंकलन

IMF में कुल 191 सदस्य देश हैं और सभी के पास वोटिंग अधिकार होते हैं। हालांकि, वास्तविक प्रभाव उनके आर्थिक योगदान (कोटा) पर आधारित होता है। अमेरिका के पास 16.5% वोटिंग शक्ति है, जबकि भारत के पास 2.75% और पाकिस्तान के पास मात्र 0.43% है। किसी भी निर्णय को पारित करने के लिए 85% वोट की आवश्यकता होती है, जिससे अमेरिका की भूमिका अत्यंत निर्णायक बनती है।

इस बार IMF ने पाकिस्तान को दो हिस्सों में लोन देने की योजना बनाई है:

  • 1 अरब डॉलर (8500 करोड़ रुपये) तत्काल एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी के तहत जारी किया जाएगा।
  • 1.3 अरब डॉलर (11 हजार करोड़ रुपये) अगले 28 महीनों में किस्तों में दिया जाएगा।

भारत का विरोध और आपत्ति

भारत ने IMF की इस मंजूरी पर गहरी आपत्ति जताई है। भारत ने IMF को यह स्मरण कराया कि पिछले 35 वर्षों में पाकिस्तान को 28 वर्षों तक IMF से मदद मिलती रही है, लेकिन किसी भी फंडिंग कार्यक्रम ने ठोस आर्थिक सुधार नहीं लाए। केवल पिछले 5 वर्षों में ही पाकिस्तान को 4 बार बेलआउट पैकेज दिया गया है।

भारत ने यह भी इंगित किया कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सेना का गहरा हस्तक्षेप है, जिससे नीतिगत अस्थिरता बनी रहती है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के हवाले से भारत ने कहा कि पाकिस्तानी सेना की कंपनियां देश की सबसे बड़ी कारोबारी इकाइयों में शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, IMF से मिलने वाला फंड “फंगिबल” (आसानी से किसी अन्य उद्देश्य में उपयोग योग्य) होता है, जिससे यह आशंका और बढ़ जाती है कि यह पैसा आतंकवाद के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

IMF की वोटिंग में भारत की रणनीति

भारत ने औपचारिक रूप से विरोध दर्ज कराया और वोटिंग प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया (Abstain किया)। भारत के मुताबिक, बार-बार ऐसे देशों को वित्तीय सहायता देना जो आतंकवाद को प्रश्रय देते हैं, वैश्विक मूल्यों और संस्थानों की साख पर प्रश्नचिह्न लगाता है।

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति: भीख और आतंक की दोहरी चाल

पाकिस्तान वर्षों से IMF, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और मित्र राष्ट्रों से सहायता मांगता रहा है। लेकिन इन संसाधनों का उपयोग राष्ट्र निर्माण के बजाय आतंकी गतिविधियों को पोषित करने में अधिक हुआ है। भारत ने आर्थिक दबाव बढ़ाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित किया है, व्यापारिक संबंधों को समाप्त कर दिया है और हवाई क्षेत्र को भी बंद कर दिया है।

निष्कर्ष

भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालातों में, IMF द्वारा पाकिस्तान को 2.3 अरब डॉलर का लोन देना केवल एक वित्तीय निर्णय नहीं, बल्कि एक वैश्विक राजनीतिक रणनीति भी प्रतीत होता है। भारत ने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया है कि यह सहायता पाकिस्तान की आर्थिक उन्नति के बजाय आतंकवाद के पोषण में सहायक सिद्ध हो सकती है। क्या यह निर्णय एक साजिश है, एक रणनीतिक चूक या किसी विशेष सिफारिश का परिणाम? यह एक गहन अंतरराष्ट्रीय बहस का विषय बन चुका है।

-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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