हानिकारक केमिकल, भारी मशीनें, स्कूल के पास ट्रैफिक और महिलाओं की असुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे उठाए गए, लेकिन कार्रवाई केवल कागज़ों तक सीमित

गुरुग्राम/बसई, 10 मई 2025 – गांव बसई की रिहायशी सीमा (लाल डोरे) में अवैध रूप से संचालित सूरी ऑटो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी स्थानीय निवासियों के लिए मुसीबत का कारण बनी हुई है। ग्रामवासियों ने आरोप लगाया है कि कंपनी के मालिक अतुल सूरी अपनी दबंगई के दम पर अवैध निर्माण, हानिकारक केमिकल उपयोग और रात्रिकालीन श्रमिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, जिससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

नियमों की धज्जियाँ, प्रशासन की निष्क्रियता
ग्रामवासियों ने बताया कि यह कंपनी प्राइमरी मॉडल संस्कृति स्कूल के ठीक सामने स्थित है, और यहाँ से भारी वाहनों की लगातार आवाजाही स्कूली बच्चों और ग्रामीणों की जान पर खतरा बन चुकी है। कंपनी में हानिकारक केमिकल, भारी विद्युत ग्रिड, और बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग रिहायशी क्षेत्र में खुलेआम किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, पानी के टैंकरों से अवैध जल आपूर्ति और पेड़ों की कटाई जैसी गतिविधियाँ भी जारी हैं।

शिकायतों की बाढ़, कार्रवाई नदारद
ग्रामवासियों ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, पर्यावरण मंत्री, श्रम मंत्री, नगर निगम आयुक्त, पुलिस आयुक्त, उपायुक्त, पर्यावरण विभाग, लेबर विभाग समेत तमाम प्रशासनिक अधिकारियों को संयुक्त रूप से शिकायतें दी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी निरीक्षण के नाम पर आते हैं और “खानापूर्ति” करके लौट जाते हैं। इससे लोगों में शासन-प्रशासन की नीयत और कार्यशैली को लेकर गहरा रोष है।

महिलाओं की असुरक्षा और पर्यावरणीय खतरा
ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि रात्रि में लेबर के बाहर घूमने से वे असुरक्षित महसूस करती हैं। वहीं, वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और रसायनों के उपयोग से स्थानीय पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुँच रही है। गाँव में पहले भी कुछ कंपनियों में आगजनी के हादसे हो चुके हैं, जिससे लोगों की जानें गईं—ऐसे में यदि भविष्य में सूरी ऑटो में कोई दुर्घटना होती है तो जिम्मेदारी कौन लेगा?

कानून के आदेशों की अवहेलना
ग्रामवासियों ने यह भी बताया कि माननीय न्यायालय द्वारा प्रतिबंध के बावजूद कंपनी में निर्माण कार्य लगातार जारी है। सवाल यह उठता है कि आखिर यह सब किसकी मौन स्वीकृति और संरक्षण में चल रहा है?

एडवोकेट निर्मला शर्मा सहित कई जागरूक ग्रामीणों ने इस पर गहरा आक्रोश जताते हुए चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो ग्रामीण शांतिपूर्ण जन आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने को मजबूर होंगे।


न्याय की उम्मीद अभी बाकी है

यह मामला न केवल कानून व्यवस्था की परीक्षा है, बल्कि यह प्रशासनिक निष्क्रियता और भ्रष्ट व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करता है। अब देखना यह है कि शासन-प्रशासन इस जन आक्रोश को गंभीरता से लेकर कोई निर्णायक कदम उठाता है या नहीं।

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