अन्य अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों में हम कहां खड़े हैं? : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घोषित किए जाने वाले अनेक सूचकांकों जैसे गरीबों बेरोजगारी भूख प्रसन्नता श्रेणी में बहुत पीछे रहते हैं इसको सुधारने के उपाय को ध्यान देने की अत्यंत से आवश्यकता को रेखांकित करना जरूरी है।
दुनियाँ की अर्थव्यवस्था जब धीमी गति से चल रही है तो भारत सेवा,मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर व मेडिसिन क्षेत्र में विशेष भूमिका निभा रहा है।
वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा, निवेशकों की नजरें व विश्वास दोनों बढ़ा है, क्योंकि यह ग्रोथ तात्कालिक नहीं बल्कि टिकाऊ है
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

गोंदिया महाराष्ट्र–वैश्विक स्तरपर दुनियाँ की अर्थव्यवस्था जहाँ मंदी और अनिश्चितताओं से जूझ रही है, वहीं भारत ने सेवा, मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिसिन जैसे क्षेत्रों में अपनी दमदार भूमिका निभाते हुए चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का मुकाम हासिल कर लिया है। भारत अब जापान को पछाड़कर 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि एक टिकाऊ और सतत विकास की कहानी है।
वैश्विक मंच पर भारत का बढ़ता कद
कोविड-19 महामारी के बाद अमेरिका, इंग्लैंड, श्रीलंका और पाकिस्तान समेत कई देशों की अर्थव्यवस्थाएँ संकट में घिरी रहीं, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था न केवल स्थिर रही बल्कि लगातार आगे बढ़ती रही। ब्रिटेन को पछाड़कर पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद भारत ने अब जापान को भी पीछे छोड़ दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत की GDP अब 4.287 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच चुकी है, जबकि जापान की GDP 4.186 ट्रिलियन डॉलर पर अनुमानित है।
अगले लक्ष्यों की ओर अग्रसर भारत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का अगला लक्ष्य 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है, और इसके बाद नजर 10 ट्रिलियन डॉलर पर है। IMF के अनुसार, अगर भारत की वर्तमान विकास दर बनी रही तो अगले 2-3 वर्षों में भारत जर्मनी को भी पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
2023 में टॉप 10 वैश्विक अर्थव्यवस्थाएँ (GDP के आधार पर):

- अमेरिका – $27.72 ट्रिलियन
- चीन – $17.79 ट्रिलियन
- जर्मनी – $4.52 ट्रिलियन
- जापान – $4.20 ट्रिलियन
- भारत – $3.56 ट्रिलियन (अब 4.287 ट्रिलियन)
- ब्रिटेन – $3.38 ट्रिलियन
- फ्रांस – $3.05 ट्रिलियन
- इटली – $2.30 ट्रिलियन
- ब्राज़ील – $2.17 ट्रिलियन
- कनाडा – $2.14 ट्रिलियन
क्यों महत्वपूर्ण है यह छलांग?
भारत की यह उपलब्धि वैश्विक निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर रही है। भारत की युवा आबादी, तकनीकी प्रगति, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की मजबूती इसे केवल एक अस्थायी उछाल नहीं, बल्कि एक स्थायी आर्थिक ताकत बना रही है। इससे रोजगार के नए अवसर, निवेशकों का विश्वास और नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार जैसे अनेक सकारात्मक पहलू जुड़े हैं।
चुनौतियाँ और संभावनाएँ
जहाँ प्रति व्यक्ति आय और आयात पर निर्भरता जैसे मुद्दे अब भी चुनौतियाँ हैं, वहीं भारत की वृद्धि दर (2025 में 6.2%, 2026 में 6.3%) दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक रहने का अनुमान है। यह दिखाता है कि भारत अब सिर्फ उभरती हुई नहीं, बल्कि स्थापित वैश्विक आर्थिक शक्ति बन चुका है। आजादी के बाद भारत को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने में 60 साल लगे, फिर 2014 तक यह 2 ट्रिलियन, 2021 में 3 ट्रिलियन और अब सिर्फ 4 साल में 4.3 ट्रिलियन तक पहुँच गया। यानी अब भारत लगभग हर डेढ़ साल में 1 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घोषित किए जाने वाले अनेक सूचकांकों जैसे गरीबों बेरोजगारी भूख प्रसन्नता श्रेणी में बहुत पीछे रहते हैं इसको सुधारने के उपाय को ध्यान देने की अत्यंत से आवश्यकता को रेखांकित करना जरूरी है।
महाराष्ट्र का भी बड़ा लक्ष्य
महाराष्ट्र ने भी 2047 तक 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है। राज्य के मुख्यमंत्री ने नीति आयोग की बैठक में यह लक्ष्य साझा करते हुए कहा कि महाराष्ट्र की वर्तमान GDP $550-600 अरब डॉलर है, जो पाकिस्तान की GDP से काफी अधिक है। मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी, एशिया के प्रमुख वित्तीय हब्स में शामिल है।
निष्कर्ष
भारत की यह छलांग केवल आर्थिक आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि यह भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा, आर्थिक नीतियों की सफलता और नागरिकों की मेहनत का प्रमाण है। अब जब दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ धीमी हैं, भारत अपनी रफ्तार और दमदार विकास से आगे बढ़ रहा है। अगला लक्ष्य 5 ट्रिलियन, फिर 10 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी अब बहुत दूर नहीं है।
-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र