आतंकवादी संगठनों की टेररफंडिंग रुकेगी तो आतंकवाद का अंत निश्चित है
भारत का उद्देश्य आतंकवाद के वित्तीय स्रोतों को अंतरराष्ट्रीय स्तरपर उजगार कर टेरर फंडिंग को रोकना है
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

गोंदिया महाराष्ट्र -वैश्विक परिप्रेक्ष्य में आतंकवाद आज हर देश के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। दुनिया के लगभग सभी देशों में आतंकवाद किसी न किसी रूप में सिर उठा रहा है, जिससे न केवल शांति और स्थायित्व खतरे में है, बल्कि आर्थिक विकास भी प्रभावित हो रहा है। भारत भी इस वैश्विक समस्या से अछूता नहीं रहा, लेकिन हाल के वर्षों में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक व्यापक और बहुआयामी रणनीति अपनाई है।
भारत की रणनीतिक पहलें
भारत ने आतंकवाद के वित्तीय स्रोतों को उजागर करने और उन्हें रोकने के उद्देश्य से कूटनीतिक और वित्तीय स्तर पर कई ठोस कदम उठाए हैं। हाल ही में भारत ने:
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में पाकिस्तान को ऋण देने पर आपत्ति दर्ज कराई।
- सात देशों में 59 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भेजकर आतंकवाद विरोधी जागरूकता और कूटनीतिक पहलें चलाईं।
- एशिया पेसिफिक ग्रुप (APG) के सहयोग से 25 जून 2025 को होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक में पाकिस्तान के आतंक वित्तपोषण पर सशक्त पक्ष रखने की तैयारी की।
भारत का मानना है कि जब तक आतंकवादी संगठनों की वित्तीय आपूर्ति (टेरर फंडिंग) नहीं रुकेगी, तब तक आतंकवाद पर लगाम लगाना संभव नहीं होगा।
पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव बढ़ाने की कोशिशें
भारत ने पाकिस्तान की आतंकवाद में कथित भूमिका को वैश्विक मंचों पर उजागर करने की मुहिम तेज कर दी है। अमेरिका, दक्षिण कोरिया, और बहरीन जैसे देशों में भारतीय प्रतिनिधिमंडल सक्रिय रूप से राजनीतिक, कूटनीतिक और नीति-निर्धारक संस्थाओं से चर्चा कर रहे हैं। भारत का प्रयास है कि पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जाए। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2022 में FATF ने चार साल की निगरानी के बाद पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाया था, लेकिन भारत का आरोप है कि पाकिस्तान ने आतंक वित्तपोषण रोकने की अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन नहीं किया।
विस्तृत डोजियर और वैश्विक मंचों पर रणनीति
भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ एक विस्तृत डोजियर तैयार किया है जिसमें जम्मू-कश्मीर में हालिया आतंकी घटनाओं और उनके वित्तीय नेटवर्क का विवरण शामिल है। इस डोजियर को जून 2025 में FATF प्लेनरी बैठक में पेश किया जाएगा। भारत पाकिस्तान पर उन शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाएगा जिनका उसने ग्रे लिस्ट से बाहर आने पर पालन करने का वादा किया था। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान को विश्व बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों से मिलने वाली सहायता की समीक्षा पर भी आपत्ति जताने वाला है।
FATF में भारत की कूटनीतिक रणनीति

FATF की जून 2025 की बैठक में भारत पाकिस्तान को दोबारा ग्रे लिस्ट में डालने के लिए अन्य सदस्य देशों से समर्थन जुटाने में सक्रिय रूप से लगा है। पाकिस्तान FATF का सदस्य नहीं है लेकिन एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) का सदस्य है, जो FATF-शैली का सबसे बड़ा क्षेत्रीय निकाय है। भारत FATF और APG दोनों का सदस्य है, जिससे उसे यह कूटनीतिक बढ़त मिलती है।
आर्थिक और वैश्विक प्रभाव
पाकिस्तान पहले ही आर्थिक मंदी और विदेशी ऋण संकट से जूझ रहा है। FATF की ग्रे लिस्ट में फिर से शामिल होने से उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि और निवेशकों का भरोसा और अधिक प्रभावित होगा। FATF की निगरानी से न केवल पाकिस्तान की विदेशी सहायता पर असर पड़ेगा बल्कि अवैध धनप्रवाह और आतंकवादी वित्तपोषण पर भी कड़ा अंकुश लगेगा।
निष्कर्ष
भारत का उद्देश्य स्पष्ट है: आतंकवाद के वित्तीय स्रोतों को उजागर कर टेरर फंडिंग पर रोक लगाना। IMF, APG और FATF जैसे वैश्विक मंचों पर भारत की सक्रिय कूटनीतिक पहल से स्पष्ट संकेत मिलता है कि भारत अब आतंकवाद और उसके समर्थकों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने को तैयार है। अगर टेरर फंडिंग रुकती है, तो आतंकवाद का अंत भी सुनिश्चित है।
-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र