अमेरिका की छात्र वीज़ा पर रोक-आतंकवादी या कट्टरपंथी संगठन सदस्यों के बहरूपिए छात्रों क़े आने पर रोक? या अमरीकी फर्स्ट नीति का हिस्सा?
आंदोलनों,प्रदर्शनों में भाग लेने वाले वीज़ा आवेदक छात्रों की पहचान सोशल मीडिया के अनेकों प्लेटफॉर्म्स से कर उनको वीजा नहीं देना इस आदेश का उद्देश्य हो सकता है
– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

वैश्विक स्तर पर हाल ही में अमेरिका ने दुनिया भर में अपने दूतावासों पर नए स्टूडेंट वीज़ा इंटरव्यू की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। इस फैसले ने वैश्विक स्तर पर चर्चा को जन्म दिया है। क्या यह निर्णय आतंकवादी या कट्टरपंथी संगठनों के छद्म छात्रों को रोकने की रणनीति है, या फिर यह अमेरिका फर्स्ट नीति का हिस्सा है?
अमेरिका की सख्ती और ट्रंप की नीति
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से अमेरिका में उनकी चुनावी वादों को लागू करने की तेज़ी देखी जा रही है। ट्रंप ने अपने प्रचार में ‘अमेरिका फर्स्ट’, टैरिफ नियंत्रण, यूक्रेन-रूस और हमास-इज़राइल युद्ध विराम जैसे अनेक मुद्दे उठाए थे। उनके वादों में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा गया था कि अमेरिका में केवल उन्हीं छात्रों को अवसर मिलना चाहिए जो अमेरिका की उन्नति में योगदान दें।
सोशल मीडिया और विदेशी छात्रों की निगरानी

विदेश विभाग ने स्पष्ट किया है कि स्टूडेंट वीज़ा के लिए नए अप्वाइंटमेंट फिलहाल शेड्यूल नहीं किए जाएंगे, हालांकि जिन छात्रों ने पहले से इंटरव्यू अप्वाइंटमेंट बुक कर रखे हैं, उनकी बुकिंग पर कोई असर नहीं होगा।
अब आवेदकों को 2019 से लेकर अब तक की सोशल मीडिया गतिविधियों की जानकारी देनी होगी। इससे यह संकेत मिलता है कि सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि, प्रदर्शन या कट्टरपंथी रुझान रखने वाले छात्रों की पहचान कर उन्हें वीज़ा देने से रोका जा सके।
प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा चिंताओं का असर
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब पिछले कुछ वर्षों में अमेरिकी कैंपसों में विदेशी छात्रों द्वारा प्रदर्शन और आंदोलन में शामिल होने की घटनाएँ बढ़ी हैं। विशेषकर गाज़ा और फिलिस्तीन समर्थक आंदोलनों में विदेशी छात्रों की सक्रिय भागीदारी ने अमेरिकी सरकार को सतर्क कर दिया है। इसीलिए सोशल मीडिया पर इन गतिविधियों की पड़ताल करने और ऐसे छात्रों की एंट्री रोकने की नीति बनाई जा रही है।
भारत पर असर

भारत से अमेरिका जाने वाले छात्रों की संख्या काफी बड़ी है। 2024 में विदेश में पढ़ रहे 1,335,878 भारतीय छात्रों में से लगभग 337,630 अमेरिका में हैं, जो कनाडा के बाद दूसरे स्थान पर है। अमेरिका के शिक्षा संस्थानों में प्रवेश पाने वाले भारतीय छात्रों को 2022 में 115,115 और 2023 में 130,730 स्टूडेंट वीज़ा जारी किए गए। हालांकि 2024 में यह संख्या घटकर 86,110 रह गई।
इसके बावजूद अमेरिका भारतीय छात्रों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बना हुआ है। अमेरिका के 4,000 से अधिक शैक्षणिक संस्थान उच्च शिक्षा के लिए उत्कृष्ट अवसर प्रदान करते हैं। अमेरिकी अधिकारी भी भारत में शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित कर छात्रों को आकर्षित करते रहे हैं।
निष्कर्ष
अमेरिका की नई स्टूडेंट वीज़ा पॉलिसी दो उद्देश्यों की पूर्ति करती दिखाई देती है – एक ओर सुरक्षा चिंताओं के तहत कट्टरपंथी और संदिग्ध छात्रों की पहचान कर उनकी एंट्री रोकना, और दूसरी ओर अमेरिकी फर्स्ट नीति को लागू कर स्थानीय छात्रों को अधिक अवसर देना। सोशल मीडिया पर आवेदकों की गतिविधियों की जांच का यह कदम वैश्विक स्तर पर अभूतपूर्व है। इससे विदेशों में पढ़ाई की इच्छा रखने वाले छात्रों को अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को लेकर अधिक सतर्क रहना होगा।
-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र