पूरी दुनियाँ भारत की बढ़ती सुदृढ़ होती अर्थव्यवस्था व विदेशी मुद्रा भंडार से हैरान-स्वर्ण भंडार में भी बढ़ोतरी
फिर भी क्यों पिछड़े हैं वैश्विक सूचकांकों में?
वैश्विक स्तरपर भारतीय अर्थव्यवस्था, विदेशीमुद्रा भंडारण स्पेस,रक्षा क्षेत्रों में तेज़ी से ज़बरदस्त उछाल के बावजूद वैश्विक,खुशहाली,गरीबी,भूख सूचकांकों में दयनीय स्थिति को रेखांकित करना ज़रूरी
–एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

गोंदिया महाराष्ट्र–वैश्विक स्तरपर दुनियाँ तेजी से बदल रही है, और भारत इसमें एक अहम भूमिका निभा रहा है। हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 6.99 अरब डॉलर की भारी वृद्धि हुई है, जिससे यह 692.72 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। इस अप्रत्याशित उछाल ने पाकिस्तान, अमेरिका और चीन जैसे देशों को चौंका दिया है।
भारत ने न केवल अर्थव्यवस्था में मजबूती दिखाई है, बल्कि स्वर्ण भंडार में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की है। यह उपलब्धि भारत की वित्तीय नीतियों और रणनीतिक निर्णयों का परिणाम है। भारत पहले ही जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इतनी जबरदस्त आर्थिक प्रगति के बावजूद भारत अभी भी वैश्विक खुशहाली, भूख और गरीबी जैसे बुनियादी सूचकांकों में पिछड़ा क्यों है?
अर्थव्यवस्था की मजबूती और वैश्विक प्रभाव
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मई 2024 के तीसरे सप्ताह में 6.99 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 692.72 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इसके पहले सप्ताह में 4.89 अरब डॉलर की गिरावट हुई थी। सितंबर 2024 में भारत का भंडार 704.88 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुँच चुका था।
विशेष बात यह है कि:
- फॉरेन करेंसी एसेट्स में 4.516 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
- गोल्ड रिज़र्व 2.37 अरब डॉलर बढ़कर 83.58 अरब डॉलर पर पहुँच गया।
- एसडीआर (स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स) 0.081 अरब डॉलर बढ़कर 18.57 अरब डॉलर हो गया।
- आईएमएफ में भारत का आरक्षित भंडार 0.03 अरब डॉलर बढ़कर 4.40 अरब डॉलर तक पहुँचा।
वहीं, पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने कहा कि उसके विदेशी मुद्रा भंडार में मात्र 70 मिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है, जिससे उसका कुल विदेशी भंडार लगभग 16.64 अरब डॉलर ही रह गया।
स्वर्ण भंडार में भी मजबूती

भारत के स्वर्ण भंडार में भी लगातार मजबूती देखने को मिली है। 23 मई 2024 को समाप्त सप्ताह में सोने के भंडार में 2.366 अरब डॉलर की वृद्धि हुई। इससे एक सप्ताह पहले, 16 मई को इसमें 5.121 अरब डॉलर की गिरावट देखी गई थी। अब स्वर्ण भंडार बढ़कर 83.582 अरब डॉलर हो गया है, जो भारत की आर्थिक स्थिरता का एक और प्रमाण है।
फिर भी क्यों पिछड़े हैं वैश्विक सूचकांकों में?
भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार और विदेशी मुद्रा भंडार की मजबूती तो सभी को दिख रही है, लेकिन वैश्विक खुशहाली, भूख और गरीबी सूचकांकों में भारत की स्थिति चिंताजनक है। इसके प्रमुख कारण हैं:
- बुनियादी ढांचा – डिजिटल और भौतिक संरचना में कमजोरियाँ।
- आर्थिक असमानता – अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई।
- सामाजिक सुरक्षा में कमी – सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का प्रभाव सीमित।
- शिक्षा की गुणवत्ता – शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता।
- डेटा रिपोर्टिंग की खामियाँ – जैसे ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में भारत की रैंकिंग गिरने का एक कारण डेटा की गलत रिपोर्टिंग है।
उदाहरण के लिए, ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में भारत को 107वें स्थान पर रखा गया, जबकि पासपोर्ट इंडेक्स 2023 में भी रैंकिंग में गिरावट आई। हालांकि, विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2025 में भारत की रैंकिंग 118 पर पहुँचकर थोड़ी सुधार दिखा रही है, लेकिन अभी भी पाकिस्तान और नेपाल से पीछे है।
आगे की राह
भारत ने आर्थिक और रणनीतिक क्षेत्रों में जबरदस्त उछाल दिखाया है, लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार सामाजिक विकास और बुनियादी सूचकांकों पर भी विशेष ध्यान दे। मैं प्रधानमंत्री महोदय से निवेदन करता हूँ कि वे एक विशेष कमेटी या मंत्रालय गठित कर इन सूचकांकों में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाएँ। 2026 तक भारत को वैश्विक सूचकांकों में शीर्ष 20 में लाने का लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
भारत की अर्थव्यवस्था और विदेशी मुद्रा भंडार ने वैश्विक परिदृश्य को बदल दिया है। पाकिस्तान और अमेरिका हैरान हैं और चीन केवल देख रहा है। परंतु केवल आर्थिक मजबूती ही नहीं, सामाजिक विकास और खुशहाली भी आवश्यक हैं। हमें संतुलित प्रगति की ओर बढ़ना होगा ताकि भारत हर स्तर पर एक सशक्त राष्ट्र बनकर उभर सके।
-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र