रेवाड़ी की पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा परियोजनाओं को प्राथमिकता दें: ग्रामीण भारत संगठन

रेवाड़ी, 6 जून। रेवाड़ी जिले में विकास की बड़ी घोषणाओं से पूर्व अधूरी परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की मांग उठाते हुए स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के आगामी दौरे से पहले प्रशासन को स्पष्ट दिशा देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के 15 जून को संभावित रेवाड़ी दौरे से पहले जिला प्रशासन को पिछले 10 वर्षों से अधूरी पड़ी या बेहद धीमी गति से चल रही विकास परियोजनाओं की सूची बनाकर आवश्यक बजट के साथ मुख्यमंत्री को प्रस्तुत करनी चाहिए।
विद्रोही ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा, “जब पुरानी योजनाएं अधूरी पड़ी हैं, तो नई परियोजनाओं की घोषणा का औचित्य ही क्या रह जाता है?” उन्होंने रेवाड़ी प्रशासन से यह जानना चाहा कि जब शहर को बार-बार पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मूलभूत विषयों पर संघर्ष करना पड़ रहा है, तब इन बुनियादी समस्याओं को हल करने की दिशा में ठोस प्रयास क्यों नहीं किए जा रहे?
पेयजल संकट: दस साल से हाल बेहाल
वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि रेवाड़ी जिले में पिछले दस वर्षों से पेयजल का गहरा संकट बना हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक वाटर टैंकों के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं होता, तब तक पर्याप्त जल आपूर्ति की कोई भी योजना व्यर्थ ही रहेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस बुनियादी समस्या की अनदेखी कर रहे हैं।
स्वास्थ्य व शिक्षा योजनाएं कागजों में सिमटीं
विद्रोही ने कहा कि रेवाड़ी का नागरिक अस्पताल छह-सात साल से 200 बैड की मंजूरी मिलने के बावजूद जमीन के अभाव में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा है। इसी प्रकार, ब्यायज कॉलेज को आठ साल हो गए हैं भवन का इंतजार करते हुए। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या इन ज़रूरी परियोजनाओं को जमीन के बिना पूरा करना संभव है?
“जमीन मुफ्त में मिलने” के बहाने से जनता को ठगा जा रहा है
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का पालन न करके “मुफ्त में जमीन दिलवाने” के नाम पर अहीरवाल की जनता को गुमराह कर रही है। विद्रोही ने रेवाड़ी के सांसदों, विधायकों और जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे मुख्यमंत्री को स्पष्ट रूप से बताएं कि बुनियादी समस्याओं को दरकिनार कर सिर्फ उद्घाटन और घोषणाओं से काम नहीं चलेगा।
250 करोड़ की संभावित सौगात का स्वागत, पर प्राथमिकता तय हो
रेवाड़ी प्रशासन द्वारा मुख्यमंत्री की प्रस्तावित यात्रा को लेकर 250 करोड़ रुपये की सौगात मिलने की चर्चा पर प्रतिक्रिया देते हुए विद्रोही ने कहा, “इस सौगात का स्वागत है, परंतु पहले यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि रेवाड़ी की प्राथमिकता क्या है – क्या यह दायित्व स्थानीय सांसदों, विधायकों और प्रशासन का नहीं है कि वे मुख्यमंत्री को यह बताएं?”
निष्कर्ष:
वेदप्रकाश विद्रोही की मांगें एक बुनियादी सवाल उठाती हैं – क्या सरकार को पहले लंबित और ज़रूरी परियोजनाओं को प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए? रेवाड़ी के विकास के लिए घोषणाओं से पहले ज़मीनी सच्चाई और संसाधनों की उपलब्धता की पारदर्शी समीक्षा अनिवार्य है।