सुरेश गोयल धूप वाला 

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास वीरों की शौर्यगाथाओं से भरा पड़ा है। इन्हीं अमर क्रांतिकारियों में एक नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है— रामप्रसाद ‘बिस्मिल’। आज, 11 जून को उनका जन्मदिवस है। उनका जन्म 11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था। वे न केवल क्रांति के अग्रदूत थे, बल्कि ओजस्वी कवि, लेखक और राष्ट्रभक्त भी थे, जिनकी लेखनी और बंदूक दोनों ही ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अस्त्र बने।

क्रांति की मशाल : बाल्यकाल से विद्रोही चेतना

बिस्मिल का हृदय बचपन से ही अन्याय के खिलाफ विद्रोही था। वे आर्य समाज और स्वामी दयानंद सरस्वती के विचारों से गहराई से प्रभावित हुए। भारत को अंग्रेजी दासता से मुक्त कराने का संकल्प उन्होंने युवावस्था में ही ले लिया था। 1918 के मैनपुरी कांड में भागीदारी उनकी शुरुआती क्रांतिकारी गतिविधियों में से एक थी, जिसमें वे पुलिस से बच निकलने में सफल रहे।

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना

बिस्मिल ने महसूस किया कि सशस्त्र क्रांति के बिना स्वतंत्रता संभव नहीं। इसी सोच के तहत उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद, अशफाक़ उल्ला खां जैसे साथियों के साथ 1924 में “हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन” (HRA) की स्थापना की। इसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार को क्रांतिकारी चेतना से चुनौती देना और देश में स्वतंत्र गणराज्य की स्थापना करना था।

काकोरी कांड: क्रांति की दस्तक

9 अगस्त 1925 को काकोरी रेलवे स्टेशन के पास बिस्मिल और उनके साथियों ने ब्रिटिश सरकार की खजाने वाली ट्रेन को लूट लिया। यह कांड ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध एक संगठित चुनौती था। अंग्रेजी हुकूमत तिलमिला उठी और बिस्मिल समेत अनेक क्रांतिकारी गिरफ्तार कर लिए गए।

फांसी का फंदा और अमरता का आलिंगन

19 दिसंबर 1927, लखनऊ जेल। बिस्मिल ने क्रांति के पथ पर अंतिम पड़ाव को भी मुस्कराते हुए पार किया। उन्होंने फांसी से पहले जोश भरे स्वर में लिखा:

“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाजू-ए-क़ातिल में है…”

उनका बलिदान न केवल उस समय देश के युवाओं को आंदोलित कर गया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्वतंत्रता की प्रेरणा बन गया।

नमन उस महापुरुष को…

रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का जीवन एक प्रेरणादायक ग्रंथ है, जो यह सिखाता है कि स्वाधीनता केवल माँगी नहीं जाती, बल्कि उसके लिए साहस, बलिदान और संकल्प की आवश्यकता होती है। आज के युवाओं को बिस्मिल के विचारों से ऊर्जा लेनी चाहिए।

ऐसे अमर राष्ट्रनायक को उनके जन्मदिवस पर शत-शत नमन।

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