विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस 15 जून 2025-

बुजुर्गों के साथ हदें पार करता हुआ दुर्व्यवहार-समाज व सरकार द्वारा संज्ञान लेकर सख़्त कार्रवाई करना ज़रूरी हो गया है 

आज के युग में बुजुर्ग अपने ही घर परिवार वालों व औलाद से अपेक्षाकृत अधिक दुर्व्यवहार का डंक सहन कर चुप बैठे हैं जो,घर-घर की कहानी बनते जा रही है 

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

 गोंदिया महाराष्ट्र – वैश्विक स्तरपर हर वर्ष 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य है – वरिष्ठ नागरिकों के साथ होने वाले भावनात्मक, शारीरिक, वित्तीय, उपेक्षा व परित्याग जैसे दुर्व्यवहारों को उजागर करना और उनके सम्मान, सुरक्षा तथा अधिकारों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना।

आज की हकीकत: घर-घर की कहानी
प्राचीन भारतीय संस्कृति में माता-पिता और बुजुर्गों को ईश्वर तुल्य माना गया है। रामायण के श्रवण कुमार, भगवान राम जैसे उदाहरण हमारे आदर्श रहे हैं। परंतु आधुनिक युग में यह केवल इतिहास बनता जा रहा है। आज बुजुर्ग अपने ही घरों में अपमान, उपेक्षा और अकेलेपन का जीवन जीने को मजबूर हैं। परंतु यह बात हम सबके लिए नहीं कर सकते आज भी कुछ ऐसे अनेकों युवा है जो अपने माता-पिता की बहुत सेवा कर रहे हैं

अनेक परिवारों में यह देखने को मिल रहा है कि औलादें अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रही हैं, और संपत्ति के लिए वृद्ध मां-बाप को घर से निकालनादुर्व्यवहार करना, या वृद्धाश्रम भेजना आम होता जा रहा है।

व्यवहार और पीड़ा की परछाइयाँ
आज का बुजुर्ग कहता है, “बुढ़ऊ तुमको क्या समझता है? दुनियाँ बदल गई है, तुम कुछ नहीं कर सकते।”
इस अपमानजनक व्यवहार की प्रतिक्रिया नहीं, पीड़ा अब घर-घर की कहानी बन चुकी है। समाज व सरकार को अब इस दुर्व्यवहार की हदों को पहचानकर कड़ी कार्रवाई करनी होगी।

भारत में बुजुर्गों की कानूनी सुरक्षा

 भरण-पोषण का अधिकार
“माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007” के अंतर्गत हर बुजुर्ग को यह अधिकार है कि यदि वह अपने खर्चों को नहीं उठा पा रहा, तो वह अपनी संतान या रिश्तेदार से भरण-पोषण की मांग कर सकता है।

 संपत्ति वापसी का अधिकार
यदि संपत्ति सेवा-शर्त पर दी गई थी और उसकी अनदेखी हो रही है, तो बुजुर्ग न्यायाधिकरण या सिविल कोर्ट के माध्यम से संपत्ति वापस ले सकते हैं।

 दुर्व्यवहार के विरुद्ध शिकायत का अधिकार
शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न, इलाज से इनकार या वित्तीय शोषण – इन सभी के विरुद्ध बुजुर्ग पुलिस थाने, जिला मजिस्ट्रेट या बुजुर्ग न्यायाधिकरण में शिकायत कर सकते हैं। शिकायत प्रक्रिया सरल व निःशुल्क है।

संविधानिक और विधिक प्रावधान

  • अनुच्छेद 21 – गरिमापूर्ण जीवन जीने का मौलिक अधिकार
  • अनुच्छेद 41 – सरकार द्वारा वृद्धजन कल्याण नीतियाँ बनाना
  • एचएएमए अधिनियम 1956, धारा 20 – संतान को माता-पिता का भरण-पोषण करने की बाध्यता
  • 2007 का अधिनियम – वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण का समर्पित कानून

भारत सरकार की बुजुर्गों हेतु कल्याणकारी योजनाएं

 राष्ट्रीय वयोश्री योजना – मुफ्त सहायक उपकरण
 इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना – BPL बुजुर्गों को पेंशन
 वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम (NPHCE)
 वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना – आर्थिक सुरक्षा हेतु
 आयकर में विशेष छूटें – कर राहत

इन योजनाओं की जानकारी व पहुंच सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है ताकि हर बुजुर्ग तक सहायता पहुंच सके।

इस दिवस का महत्त्व

इस दिन का उद्देश्य दुर्व्यवहार, उपेक्षा व शोषण जैसे समस्याओं पर वैश्विक जागरूकता फैलाना है।
यह समाज, सरकार और युवाओं को बुजुर्गों के प्रति कर्तव्यों की याद दिलाता है।

बुजुर्गों के सम्मान में – कुछ भावभीनी पंक्तियाँ

किस्मत वाले होते हैं वे लोग जिनके सिर पर बुजुर्गों का हाथ होता है।
वह घर, घर नहीं रहता जहाँ बुजुर्ग नहीं रहते।
बुजुर्गों की दुआएं – एक अनमोल खज़ाना हैं।
उनका हंसता चेहरा, उनका साथ – दुनिया की सबसे कीमती दौलत है।

निष्कर्ष

आज के डिजिटल, व्यस्त, और पाश्चात्य प्रवृत्ति से प्रभावित समाज में, बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की गंभीरता को समझना और उसे रोकना समाज व सरकार की संयुक्त ज़िम्मेदारी बन चुकी है।
हमें एक ऐसा भारत बनाना होगा जहां हर बुजुर्ग सम्मान, सुरक्षा और अपनापन महसूस करे।
बुजुर्गों का सम्मान केवल सामाजिक कर्तव्य नहीं, हमारी संस्कृति और आत्मा की पहचान है।

संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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