– सुरेश गोयल ‘धूप वाला’

हिसार – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने हाल ही में मथुरा में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए जिस ‘पंच परिवर्तन’ का आह्वान किया है, वह केवल संघ कार्यकर्ताओं के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण भारतीय समाज के लिए एक मार्गदर्शक मंत्र के समान है। जब देश सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संकटों से जूझ रहा है, तब यह पांच सूत्रीय संदेश एक नव-सांस्कृतिक जागरण की नींव रखता है।
डॉ. भागवत ने स्पष्ट किया कि हर परिवार को इन पांच परिवर्तनों को आत्मसात करना चाहिए —
- स्वदेशी का आग्रह
- कुंडली प्रबोधन
- सामाजिक समरसता
- पर्यावरण संरक्षण
- नागरिक कर्तव्यों का पालन
स्वदेशी का आग्रह:
स्वदेशी केवल विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का विचार नहीं है, यह आत्मनिर्भरता का मूल मंत्र है। इससे स्थानीय उद्योग, कुटीर व लघु व्यवसाय, पारंपरिक कृषि और स्वदेशी तकनीक को प्रोत्साहन मिलता है। यह भारत की आर्थिक रीढ़ को मज़बूत करने की दिशा में एक ठोस कदम है।
कुंडली प्रबोधन:
इसका तात्पर्य है – अपने मूल, अपनी परंपराओं, अपने ऋषि-मुनियों और सांस्कृतिक धरोहरों के ज्ञान से परिचित होना। जब नई पीढ़ी अपने संस्कारों से जुड़ती है, तभी संस्कृति की अविच्छिन्न धारा बहती है।
सामाजिक समरसता:
भारत की आत्मा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के भाव में बसती है। जाति, वर्ग, भाषा या प्रांत के नाम पर बंटवारे तब ही मिटेंगे, जब हर घर से समानता, सहयोग और भाईचारे की शुरुआत होगी।
पर्यावरण संरक्षण:
जलवायु परिवर्तन वैश्विक संकट है, पर समाधान लोकल स्तर पर ही शुरू होते हैं। जल-संरक्षण, वृक्षारोपण, कचरा प्रबंधन जैसे छोटे-छोटे कदम पर्यावरण रक्षा की बड़ी आधारशिला बन सकते हैं।
नागरिक कर्तव्यों का पालन:
आज अधिकारों की बात तो हर कोई करता है, लेकिन कर्तव्यों की चर्चा दुर्लभ है। नागरिक जब अपने दायित्व समझेंगे—जैसे मतदान, कर भुगतान, कानून का पालन—तभी लोकतंत्र अपने उद्देश्य में सफल हो पाएगा।
डॉ. भागवत का यह संदेश किसी राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चरित्र निर्माण की नींव है। यदि भारत का हर परिवार इस पंच परिवर्तन को अपने जीवन में स्थान दे, तो यह न केवल एक सांस्कृतिक क्रांति होगी, बल्कि भारत को विश्वगुरु बनाने की राह को भी प्रशस्त करेगी।
यह कार्य कठिन अवश्य है, परंतु असंभव नहीं। जागरूक समाज, संगठित प्रयास और प्रेरक नेतृत्व—इन तीनों के संयोग से परिवर्तन की लहर अवश्य उठेगी।