बराबर कटौती, शून्य लाभ — सरकार तय नहीं कर पा रही, होमगार्ड कर्मचारी हैं या स्वयंसेवक?
पंचकूला, 16 जून (संदीप सैनी)। हरियाणा में वर्षों से कानून-व्यवस्था की ड्यूटी निभा रहे होमगार्ड जवानों के साथ सरकार द्वारा हो रहा व्यवहार न केवल असमान है, बल्कि अमानवीय भी कहा जा सकता है। यह कहना है हरियाणा होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन के संयोजक संदीप शर्मा का, जिन्होंने रविवार को एक प्रेस बयान में सरकार और विभाग की नीति पर कड़ा हमला किया।
संदीप शर्मा ने आरोप लगाया कि होमगार्ड जवानों से पुलिस सिपाहियों की तरह ड्यूटी करवाई जाती है—लॉ एंड ऑर्डर, वीआईपी ड्यूटी, चुनाव, आपदा प्रबंधन—लेकिन जब बात वेतन, सुविधाओं या सामाजिक सुरक्षा की आती है, तो उन्हें महज “स्वयंसेवक” कहकर किनारे कर दिया जाता है।
न्यूनतम वेतन भी नहीं, पेंशन तो दूर की बात है
उन्होंने कहा कि होमगार्ड जवानों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के तहत भी सुरक्षित वेतन नहीं दिया जा रहा है। न तो पेंशन, न ग्रेच्युटी, न भविष्य निधि (PF) और न ही मेडिकल सुविधा जैसी कोई सामाजिक सुरक्षा मिलती है।
“यह एक ऐसा उदाहरण है जहां ‘बराबर कटौती, शून्य लाभ’ की नीति खुलकर सामने है,” संदीप शर्मा ने कहा।
होमगार्ड जवानों से हर माह ₹300 की कटौती की जाती है, परंतु इस कटौती के बदले उन्हें कौन-से लाभ दिए जाते हैं, यह न तो स्पष्ट किया गया है और न ही कोई योजना बताई गई है।
“Equal Work, Unequal Pay” — संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन
शर्मा ने यह भी कहा कि सरकार “समान कार्य के लिए समान वेतन” के सिद्धांत को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर रही है। जब एक ही ड्यूटी पर पुलिस सिपाही और होमगार्ड साथ खड़े होते हैं, तो फिर वेतन और सुविधाओं में इतना फर्क क्यों?
उन्होंने सवाल किया कि “जब सरकार ‘हर हाथ को काम’ और ‘समानता’ की बात करती है, तो फिर होमगार्ड जैसे समर्पित जवानों के लिए दोहरी नीति क्यों?”
सेवानिवृत्ति के समय मिलता है सिर्फ ‘धन्यवाद पत्र’
संदीप शर्मा ने कहा कि वर्षों तक सेवा देने वाले होमगार्ड जवान को सेवानिवृत्ति के समय सिर्फ एक औपचारिक ‘धन्यवाद पत्र’ थमाया जाता है। यह न केवल अपमानजनक है, बल्कि सरकार की कथनी और करनी के अंतर को भी उजागर करता है।
एसोसिएशन की मांगें
होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन ने सरकार के समक्ष निम्नलिखित माँगें रखी हैं:
- होमगार्ड को सरकारी कर्मचारी के बराबर दर्जा दिया जाए।
- न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत वेतन और भत्तों की व्यवस्था की जाए।
- ₹300/माह की कटौती का उपयोग और लाभ पारदर्शी रूप से बताया जाए।
- पेंशन, बीमा, मेडिकल और अन्य कल्याणकारी योजनाएं तत्काल लागू हों।
- सेवा के अंत में सामाजिक सुरक्षा और सम्मानजनक सेवानिवृत्ति नीति बनाई जाए।
सभी कर्मचारियों और संगठनों से समर्थन की अपील
संदीप शर्मा ने प्रदेश के सभी कर्मचारी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया से अपील की है कि वे इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाएँ।
“यह केवल होमगार्ड जवानों का मुद्दा नहीं, हर उस मेहनतकश नागरिक का मामला है जो बिना स्थायीत्व के वर्षों तक समाज की सेवा करता है,” उन्होंने भावुक होकर कहा।