ईरान-इजरायल,अमेरिका युद्ध से कच्चे तेल की कीमतों में विस्फोटक वृद्धि की संभावना- ईरान के स्टेट आफ होमर्ज़ (तंग समुद्री रास्ता) बंद करने की संभावना
तीसरे विश्व युद्ध की ओर कदम बढ़ाती परिस्थितियों से दुनियाँ डरी- परमाणु खतरों की आशंका बढ़ी – युद्ध की भयावहता को रेखांकित कर त्वरित समाधान के लिए सवांद ज़रूरी
– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

गोंदिया महाराष्ट्र-वैश्विक परिदृश्य में युद्ध की आशंका एक बार फिर गहराती जा रही है। ईरान, इज़रायल और अमेरिका के बीच बढ़ते टकराव ने दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की ओर धकेलने की परिस्थितियाँ पैदा कर दी हैं। स्टेट ऑफ होर्मुज़ के बंद होने की संभावनाओं और तेल आपूर्ति बाधित होने की आशंकाओं ने न केवल आर्थिक बल्कि भू-राजनीतिक संतुलन को भी डगमगाने लगा है। पूरी दुनिया भयभीत है, और इस युद्ध की भयावहता के बीच संवाद और समाधान की नितांत आवश्यकता है।
1. वैश्विक संकट की पृष्ठभूमि
पिछले तीन वर्षों में दुनियाभर में कई सैन्य संघर्ष देखे गए – रूस-यूक्रेन, इज़रायल-हमास, भारत-पाकिस्तान, थाईलैंड-कंबोडिया आदि। लेकिन हालिया ईरान-इज़रायल-अमेरिका टकराव बेहद गंभीर रूप ले चुका है। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए जाने के बाद ईरान ने स्टेट ऑफ होर्मुज़ को बंद करने की चेतावनी दी है। इस कदम से वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में विस्फोटक वृद्धि की आशंका है, और भारत जैसे आयात-निर्भर देशों पर बड़ा असर पड़ सकता है।

2. खेमेबाज़ी की शुरुआत: अमेरिका बनाम रूस
इस संघर्ष ने दो वैश्विक ध्रुवों को एक बार फिर आमने-सामने खड़ा कर दिया है। अमेरिका जहां इज़रायल के साथ खुलकर खड़ा है, वहीं रूस ने अमेरिकी हमलों की आलोचना की है। ईरानी विदेश मंत्री की रूसी राष्ट्रपति से मुलाकात इस खेमेबाज़ी को और गहराने का संकेत है। स्थिति जटिल होती जा रही है, और सामरिक संतुलन एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है।
3. स्टेट ऑफ होर्मुज़: वैश्विक तेल आपूर्ति पर संकट
होर्मुज़ जलडमरूमध्य विश्व का एक सबसे संकीर्ण और रणनीतिक रूप से अहम समुद्री मार्ग है, जहाँ से दुनिया के लगभग 25% कच्चा तेल और 25% प्राकृतिक गैस का परिवहन होता है। भारत अपने 40% से अधिक तेल आयात इसी रास्ते से करता है। अगर यह बंद होता है, तो:
- तेल कीमतें $120-150 प्रति बैरल तक जा सकती हैं।
- भारत में पेट्रोल-डीजल ₹120 प्रति लीटर या उससे अधिक हो सकते हैं।
- महंगाई की लहर से खाद्य, दवाइयों और अन्य जरूरी चीजों की कीमतें भी बढ़ेंगी।
4. भारत की स्थिति और रणनीति
भारत सरकार हालात पर सतर्क नज़र रखे हुए है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार भारत के पास कई हफ्तों का तेल भंडार है और आपूर्ति के कई विकल्प मौजूद हैं:
- अमेरिका, ब्राजील, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता हो सकते हैं।
- कतर जैसे देश, जो होर्मुज़ का प्रयोग नहीं करते, भारत को सप्लाई जारी रख सकते हैं।
परंतु वैश्विक कीमतों के बढ़ने का असर अंततः भारत पर भी पड़ेगा।

5. आर्थिक प्रभाव: जीडीपी और चालू खाता घाटा पर असर
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार:
- कच्चे तेल की कीमतों में $10/बैरल वृद्धि से भारत का चालू खाता घाटा GDP के 0.3% तक बढ़ सकता है।
- यदि कीमतें $90 तक जाती हैं, तो चालू खाता घाटा GDP के 1.6% तक पहुँच सकता है।
- इससे भारत की आर्थिक वृद्धि और आयात-निर्यात संतुलन पर दबाव पड़ेगा।
6. सामरिक और राजनीतिक दृष्टिकोण
ईरान का स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़ बंद करने का प्रस्ताव संसद में पारित हो चुका है। हालाँकि इसे लागू करने के लिए सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की अनुमति आवश्यक है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस जलडमरूमध्य को पूर्णतः बंद करना आसान नहीं है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों और सैन्य प्रतिरोध से जुड़ा है।
निष्कर्ष
अगर हम उपरोक्त तथ्यों का समग्र विश्लेषण करें तो यह स्पष्ट होता है कि:
- ईरान-इज़रायल-अमेरिका युद्ध वैश्विक स्थिरता को गहरे संकट में डाल सकता है।
- तीसरे विश्व युद्ध की आहट को नकारा नहीं जा सकता।
- तेल संकट, महंगाई और आर्थिक असंतुलन जैसे परिणाम आम जनता को प्रभावित करेंगे।
- इस भयावहता को रेखांकित कर तत्काल अंतरराष्ट्रीय संवाद और कूटनीतिक समाधान अत्यावश्यक है।
अंतिम विचार
अब समय आ गया है कि वैश्विक समुदाय इस टकराव को कूटनीति और संवाद के माध्यम से सुलझाने के प्रयासों में जुटे। एक और महायुद्ध मानवता के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा। सभी देशों को शांति, सह-अस्तित्व और सहयोग का मार्ग अपनाना चाहिए।–
संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र