नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ़ ……… अंतर्राष्ट्रीय दिवस 26 जून 2025 पर विशेष

मादक पदार्थों के प्रयोग से दुष्प्रभाव-परिवार से विच्छेदन, अपराध प्रवृति में वृद्धि, शारीरिक व मानसिक कमजोरी के रूप में सामने आती है

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

गोंदिया – अंतरराष्ट्रीय स्तरपर मादक पदार्थों के सेवन और नशीली दवाओं के दुरुपयोग तथा उसकी अवैध तस्करी के मामलों से करीब-करीब हर देश पीड़ितहै और यह समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। खासकर मानवीय युवा पीढ़ी जिन्हें भविष्य की बागडोर संभालनीं है, यानें हमारी अगली पीढ़ी बनने वाले युवा और बच्चों की रुचि मादक पदार्थों में बढ़ती ही जा रही है।हम अपने आसपास भी देखते होंगे कि बच्चे भी सिगरेट, बीड़ी, बीयर पीने की ओर आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं जो वैश्विक समस्या बनती जा रही है। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यहां गुटखा पाबंदी होने के बावजूद स्कूलों के आसपास भी भारी मात्रा में तंबाकू युक्त गुटके मिलते रहते हैं जो बिना मिली भगत के संभव नहीं है,नशा, एक ऐसी बीमारी है जो कि युवा पीढ़ी को लगातार अपनी चपेट में लेकर उसे कई तरह से बीमार कर रही है। शराब, सिगरेट, तम्‍बाकू एवं ड्रग्‍स जैसे जहरीले पदार्थों का सेवन कर युवा वर्ग का एक बड़ा हि‍स्सा नशे का शिकार हो रहा है। आज फुटपाथ और रेल्‍वे प्‍लेटफार्म पर रहने वाले बच्‍चे भी नशे की चपेट में आ चुके हैं। लोग सोचते हैं कि वो बच्‍चें कैसे नशा कर सकते है जिनके पास खाने को भी पैसा नहीं होता। परंतु नशा करने के लिए सिर्फ मादक पदार्थो की ही जरुरत नहीं होती, बल्कि व्‍हाइटनर, नेल पॉलिश, पेट्रोल आदि की गंध, ब्रेड के साथ विक्स और झंडु बाम का सेवन करना, कुछ इस प्रकार के नशे भी किए जाते हैं, जो बेहद खतरनाक होते हैं।नशे की लत ने इंसान को उस स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है कि अब व्‍यक्‍ति मादक पदार्थों के सेवन के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, वह नशे के लिए जुर्म भी कर सकता है। नशे के मामले में महिलाएं भी पीछे नहीं है। महिलाओं द्वारा भी मादक पदार्थों का बहुत अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है।

✦ नशीली दवाओं के दुष्प्रभाव: एक सामाजिक संकट
मादक पदार्थों के प्रयोग से परिवारों से विच्छेदनअपराध प्रवृत्ति में वृद्धि, और शारीरिक व मानसिक कमजोरी जैसे गंभीर दुष्परिणाम सामने आते हैं। यह न केवल व्यक्ति विशेष को बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र को प्रभावित करता है।

✦ युवा पीढ़ी पर मंडराता खतरा
गोंदिया (महाराष्ट्र) के एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी कहते हैं कि नशा एक ऐसी सामाजिक बीमारी बन गई है जो युवा वर्ग को अपनी चपेट में लेकर उसे मानसिक, शारीरिक व नैतिक रूप से बीमार कर रही है। छोटे बच्चे तक बीड़ी, सिगरेट, शराब, व अन्य खतरनाक नशीले पदार्थों का सेवन करने लगे हैं।

✦ नशे के नए और खतरनाक स्वरूप
आज नशा केवल महंगे ड्रग्स तक सीमित नहीं है। गरीब तबके के बच्चे तक पेट्रोल, व्हाइटनर, नेल पॉलिश, विक्स, झंडु बाम जैसी चीजों का सेवन कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति अत्यंत चिंताजनक है।

✦ महिलाओं में भी नशे की बढ़ती प्रवृत्ति
अब महिलाएं भी नशे की गिरफ्त में आ रही हैं। तनाव, प्रेम संबंधों की विफलता, दांपत्य जीवन में समस्याएं व तलाक जैसी स्थितियां महिलाओं में नशे की प्रवृत्ति को बढ़ा रही हैं।

✦ वैश्विक अपील: संयुक्त राष्ट्र का संदेश
ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) के अनुसार, “एक साथ, हम विश्व नशीली दवाओं की समस्या से निपट सकते हैं।” रोकथाम इलाज से बेहतर है – यह उक्ति इस संदर्भ में अत्यंत सार्थक है।

✦ प्रमुख मादक पदार्थों की सूची
गांजा, चरस, हशीश, कोकीन, एलएसडी, अफीम, भांग, गुटखा, तंबाकू, शराब इत्यादि प्रमुख नशीले पदार्थ हैं। इनका सेवन शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देता है।

✦ भारत सरकार के प्रयास: नशा मुक्ति की ओर
भारत सरकार ने नशा मुक्ति हेतु कई प्रभावी कदम उठाए हैं:

  1. नशा मुक्त भारत अभियान (2020):
    • अब तक 10 करोड़+ लोगों को जागरूक किया गया।
    • 3 लाख से अधिक शिक्षण संस्थान8000+ मास्टर वॉलंटियर्स शामिल हैं।
  2. सख्त कानूनी कार्रवाई:
    • NDPS एक्ट के तहत 152% मामले बढ़े, 400% गिरफ्तारी में वृद्धि,
    • 12 लाख किलो ड्रग्स नष्ट, 30 गुना मूल्य की जब्ती।
  3. इंटर-एजेंसी समन्वय:
    • NARCO कोऑर्डिनेशन सेंटरSIMS पोर्टल,
    • समुद्री मार्गों की निगरानी हेतु विशेष टास्क फोर्स।
  4. शिक्षा और जागरूकता:
    • स्कूलों, कॉलेजों, समाजों में अभियान, सेमिनार, काउंसलिंग सत्र।
  5. पुनर्वास केंद्र:
    • सरकारी/गैर-सरकारी केंद्रों द्वारा इलाज, काउंसलिंग, पुनर्वास।
  6. सीमा सुरक्षा:
    • तस्करी पर नियंत्रण हेतु कड़े निगरानी तंत्र और संपत्ति जब्ती।
  7. परिवार व समुदाय की भागीदारी:
    • सभी वर्गों की स्वेच्छा से भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

✦ सामाजिक न्याय मंत्रालय की भूमिका
PIB के अनुसार, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय 26 जून को हर वर्ष यह दिवस मनाता है। मंत्रालय नशा करने वालों की पहचान, इलाज व पुनर्वास हेतु एनजीओ के माध्यम से सेवाएं प्रदान करता है। 24×7 टोल-फ्री हेल्पलाइन भी स्थापित की गई है।

✦ अंतरराष्ट्रीय इतिहास: 26 जून का महत्व

  • 13 दिसंबर 1985 के UN महासभा संकल्प 40/122 के आधार पर,
  • 7 दिसंबर 1987 को तय किया गया कि
    हर वर्ष 26 जून को “नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस” मनाया जाएगा।
  • 1991 से 2000 तक का दशक UN ड्रग्स विरोधी दशक घोषित किया गया।
  • 1998 में राजनीतिक घोषणा द्वारा सदस्य देशों की प्रतिबद्धता दर्शाई गई।

✦ निष्कर्ष: सामुदायिक सक्रियता ही समाधान
नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी एक वैश्विक और राष्ट्रीय संकट बन चुकी है। इससे लड़ने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ सामुदायिक जागरूकता और सक्रिय सहयोग अत्यंत आवश्यक है। समाज का प्रत्येक वर्ग अगर इस दिशा में आगे आए, तो हम इस बुराई को जड़ से समाप्त कर सकते हैं।

 संकलनकर्ता लेखक –क़ानूनी विशेषज्ञ | स्तंभकार | साहित्यकार | अंतरराष्ट्रीय लेखक | चिंतक | कवि | संगीत माध्यम सीए (ATC)एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी. गोंदिया, महाराष्ट्र

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