स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही का भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप—’हरियाणा में लोकतंत्र को किया जा रहा है बंधक’

चंडीगढ़/रेवाड़ी, 28 जून 2025। हरियाणा में राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने भाजपा सरकार पर सत्ता के दुरुपयोग और लोकतांत्रिक मूल्यों के उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एक ओर भाजपा सरकार गुरुग्राम के मानेसर में 3 और 4 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रीय शहरी स्थानीय निकाय सम्मेलन का जोर-शोर से महिमामंडन कर रही है, वहीं दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण के सगे भाई देवेंद्र कल्याण को हरियाणा राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त कर, जनादेश की निष्पक्षता पर बड़ा हमला किया गया है।
“क्या यह लोकतंत्र है या परिवारवाद?” – विद्रोही का तीखा सवाल
विद्रोही ने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाते नहीं थकते, लेकिन खुद सत्ता का ऐसा उपयोग कर रहे हैं कि राजनीतिक रिश्तेदारों को संवैधानिक पदों पर बिठा रहे हैं।
“हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष के भाई को चुनाव आयुक्त बनाना क्या लोकतंत्रवाद है या भाजपा का दोहरा मापदंड?”
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वायत्तता लोकतंत्र की रीढ़ होती है, लेकिन भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारें लगातार इस व्यवस्था को कमजोर करने पर आमादा हैं।
“वोट की चोरी का रास्ता तैयार कर रही है भाजपा”
वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा ने इस नियुक्ति के माध्यम से हरियाणा के पंचायती और शहरी निकाय चुनावों में अपने पक्ष में धांधली का रास्ता साफ कर दिया है।
उन्होंने कहा कि जैसे केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग में संघ से जुड़े ‘बंधुआ’ अफसरों को बिठाकर लोकसभा और विधानसभा चुनावों में निष्पक्षता को खत्म किया, उसी तर्ज पर अब हरियाणा में भी यह प्रयोग शुरू हो गया है।
“जब चुनाव आयोग खुद जवाबदेही से बचता है, सूचना छुपाता है, और नियमों की आड़ में सत्तारूढ़ दल के लिए चुनाव प्रबंधन करने लगता है, तब लोकतंत्र खतरे में आ जाता है,” विद्रोही ने कहा।
“यदि भाजपा में लोकतांत्रिक नैतिकता शेष है, तो यह नियुक्ति रद्द करे”
विद्रोही ने हरियाणा सरकार से मांग की कि वह देवेंद्र कल्याण की राज्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति को तुरंत रद्द करे, क्योंकि यह नियुक्ति नियमों, परंपराओं और नैतिकता के विरुद्ध है।
उन्होंने कहा कि
“राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति किसी राजनेता के परिजन को देने की वस्तु नहीं है। यह पद सार्वजनिक विश्वास और निष्पक्षता की बुनियाद पर टिकता है।”
राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज, विपक्ष कर सकता है मुद्दा तेज
वेदप्रकाश विद्रोही के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि हरियाणा में विपक्ष इस नियुक्ति को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति बना सकता है। विधानसभा अध्यक्ष के भाई की नियुक्ति को लेकर संवैधानिक शुचिता और पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, जो आने वाले समय में राजनीतिक बहस और जन आक्रोश का केंद्र बन सकता है।