चार घंटे बिजली गुल, मरीज-परिजन बेहाल, प्रशासन मौन

फतह सिंह उजाला

पटौदी, 1 जुलाई । हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य ढांचे की पोल सोमवार रात पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल में उस समय खुल गई, जब पूरे अस्पताल परिसर में लगातार चार घंटे बिजली गुल रही। इस दौरान अस्पताल का पूरा वातावरण एक ‘भूत बंगले’ जैसा बन गया — अंधेरा, गर्मी, उमस और असहाय मरीज।

इमरजेंसी वार्ड से लेकर प्रसूति कक्ष तक, हर जगह अफरा-तफरी का माहौल रहा। बिजली के बिना न केवल मरीजों की जान सांसत में रही, बल्कि साथ आए तीमारदार और अस्पताल का स्टाफ भी पसीने-पसीने होता रहा।

पावर बैकअप नाकाफी, जनरेटर बना सफेद हाथी

सूत्रों के मुताबिक अस्पताल में मात्र 5 किलोवाट का छोटा जनरेटर है, जो सीमित समय तक ही बैकअप दे सकता है। इतना ही नहीं, मुख्य जनरेटर लंबे समय से निष्क्रिय पड़ा है, जिसे चालू करने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन और बिजली विभाग एक-दूसरे पर डालते आ रहे हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि बिजली विभाग और पीडब्ल्यूडी को कई बार लिखित में सूचना दी गई, लेकिन आज तक कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ। जनरेटर केवल कागजों में चालू है, हकीकत में वह ‘सफेद हाथी’ बनकर अस्पताल की शोभा बढ़ा रहा है।

बिजली विभाग का तर्क—केबल फाल्ट, दोष मौसम पर

बिजली निगम के अधिकारियों के अनुसार, अस्पताल की आपूर्ति लाइन में केबल बॉक्स में फाल्ट आने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई। उन्होंने दोष बारिश पर मढ़ते हुए कहा कि बरसात के चलते फाल्ट सामान्य बात है।

लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हर बार बारिश में अस्पतालों में बिजली बंद रहेगी? क्या मरीजों को अंधेरे में तड़पते रहना नियति बन चुकी है?

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने जताया रोष

पूर्व पार्षद जाहिद कुरैशी और मंडी परिषद के मौजूदा पार्षद इकरार ने कड़े शब्दों में कहा कि यह अस्पताल नहीं, अब जोखिम का घर बन चुका है। सोमवार रात एक झगड़े में घायल लोगों को इलाज के लिए लाया गया, लेकिन वहां इलाज के लिए रोशनी तक नहीं थी

मुख्यमंत्री और मंत्रियों की चुप्पी पर सवाल

स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने सवाल किया है कि क्या मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव और ऊर्जा मंत्री अनिल विज इस स्थिति से अनभिज्ञ हैं? क्या स्वास्थ्य और बिजली विभाग की खामियों की कोई जवाबदेही तय नहीं होगी?

विद्रोही ने मांग की कि पटौदी अस्पताल में पावर बैकअप की स्थायी और विश्वसनीय व्यवस्था की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी मरीज बिजली की कमी के चलते जीवन-मरण की स्थिति में न पहुंचे।

निष्कर्ष:
पटौदी अस्पताल में बिजली संकट ने सरकार की तैयारियों और दावों की पोल खोल दी है। यदि शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो यह केवल पटौदी ही नहीं, पूरे राज्य के लिए गंभीर स्वास्थ्य आपातकाल की चेतावनी साबित हो सकता है।

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