पर्यावरणनाशेन नश्यन्ति सर्वजन्तव:।⁣ पवन: दुष्टतां याति प्रकृतिविकृतायते।।⁣जब पर्यावरण का नाश होता है, सभी जीव-जंतु नष्ट और प्रकृति विकृत हो जाती है।

अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस 3 जुलाई 2025- सिंगल यूज़ प्लास्टिक के भयंकर नकारात्मक परिणामों व पर्यावरण प्रदूषण को रेखांकित करना ज़रूरी

विश्व के हर मानवीय जीव को सिंगल यूज़ प्लास्टिक को त्यागने का संकल्प लेकर पृथ्वी पर सभी जीवों की रक्षा करने में सहयोग देना ज़रूरी

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

 वैश्विक परिप्रेक्ष्य और पर्यावरणीय चुनौती

गोंदिया-र्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हम तीव्र गति से विकास तो कर रहे हैं, परंतु उसी अनुपात में पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं। इसके चलते प्राकृतिक असंतुलन, आपदाएं, और स्वास्थ्य समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसीलिए हमारे पूर्वजों और विचारकों ने हमेशा आगाह किया है कि आधुनिक सुख-सुविधाओं के साथ उनके दुष्परिणामों पर भी गंभीरता से विचार करें।

मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, यह मानता हूं कि तमाम नियमों और जागरूकता के बावजूद भारत में प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन कुछ सकारात्मक प्रयास आशा भी दिखा रहे हैं।

वर्तमान में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन की व्यवस्था व्यापक होते हुए भी अस्पष्ट परिभाषाओं और छूटों के कारण कमज़ोर पड़ जाती है, जिसे सुधारने की सख्त आवश्यकता है।

संस्कृत श्लोक भी हमें चेताते हैं:
“पर्यावरणनाशेन नश्यन्ति सर्वजन्तव:।⁣ पवन: दुष्टतां याति प्रकृतिविकृतायते।।”
(हिंदी अर्थ — पर्यावरण के नष्ट होने से सभी प्राणी नष्ट हो जाते हैं, हवाएं दूषित हो जाती हैं और प्रकृति प्रतिकूल रूप धारण कर लेती है।)

इसीलिए 3 जुलाई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस के अवसर पर हमें सिंगल यूज़ प्लास्टिक के भयावह दुष्परिणामों पर चर्चा कर स्वयं भी इसके उपयोग को रोकना चाहिए और जनभागीदारी के माध्यम से वैश्विक जनजागृति फैलानी होगी।

सिंगल यूज़ प्लास्टिक और प्लास्टिक बैग के 5 महत्वपूर्ण तथ्य

  •  प्लास्टिक की थैलियों को विघटित होने में 100 से 500 वर्ष लगते हैं।
  •  हर वर्ष 5 ट्रिलियन प्लास्टिक बैग बनाए जाते हैं।
  •  एक औसत व्यक्ति एक प्लास्टिक बैग का उपयोग केवल 25 मिनट करता है।
  •  हर मिनट 10 लाख प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है।
  •  हर साल 1,00,000 समुद्री जीव प्लास्टिक बैग के कारण मारे जाते हैं।

प्लास्टिक बैग न केवल पर्यावरण के लिए घातक हैं बल्कि पुनर्चक्रण की दृष्टि से भी अनुपयोगी साबित हुए हैं। हर साल लगभग 8 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक समुद्र में पहुंचकर जलीय जीवन और अंततः मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।

वैश्विक प्रयास और सख्त कदम

कुछ देशों ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है या कड़े नियम लागू किए हैं। इनमें हवाई, उत्तरी कैरोलिना, इटली, चीन, अफ्रीका के कई देश, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं। लगभग 127 देश किसी न किसी रूप में प्लास्टिक बैग को नियंत्रित करने के प्रयास कर रहे हैं।

भारत सरकार के महत्वपूर्ण कदम

  •  प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 — 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग पर 30 सितंबर 2021 से प्रतिबंध, और 120 माइक्रोन से कम मोटाई वाले बैग पर 31 दिसंबर 2022 से रोक।
  •  हाल ही में इसे 150 माइक्रोन कर दिया गया है।
  •  विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) दिशा-निर्देश — उत्पाद के पूरे जीवनचक्र में उसका बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए।
  •  1 जुलाई 2022 से चिन्हित सिंगल यूज़ प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, भंडारण, वितरण, आयात, बिक्री व उपयोग पर प्रतिबंध लागू।
  •  राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित कर निगरानी और प्रवर्तन दल गठित।
  •  सीपीसीबी शिकायत निवारण ऐप — नागरिकों को प्लास्टिक से जुड़ी समस्याओं के समाधान हेतु सशक्त बनाने की पहल।

प्रतिबंधित सिंगल यूज़ प्लास्टिक वस्तुओं की सूची

  •  प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड
  •  गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक
  •  प्लास्टिक के झंडे
  •  कैंडी स्टिक
  •  आइसक्रीम स्टिक
  •  सजावट का थर्मोकोल
  •  प्लास्टिक प्लेट, कप, गिलास
  •  प्लास्टिक कटलरी (चम्मच, कांटे, चाकू)
  •  स्ट्रॉ
  •  मिठाई के डिब्बों की पैकिंग फिल्म
  •  निमंत्रण कार्ड की पैकिंग
  •  सिगरेट पैकेट
  •  100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक/पीवीसी बैनर
  •  स्टिरर आदि।

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका

भारत ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA 4) में एक प्रस्ताव रखकर वैश्विक समुदाय का ध्यान सिंगल यूज़ प्लास्टिक के प्रदूषण पर खींचा। मार्च 2022 में UNEA 5 में भारत ने वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए रचनात्मक सहयोग पर जोर दिया।

निष्कर्ष                  

अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करें तो यह स्पष्ट होता है कि पर्यावरण का नाश होने पर सभी जीव-जंतु नष्ट हो जाते हैं, प्रकृति विकृत हो जाती है। अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस पर हमें सिंगल यूज़ प्लास्टिक के घातक प्रभावों को रेखांकित कर जनजागरूकता और प्रतिबद्ध भागीदारी द्वारा पृथ्वी और उसके समस्त प्राणियों की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए।

संकलनकर्ता लेखक — क़र विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, अंतरराष्ट्रीय लेखक, चिंतक, कवि, संगीत माध्यमा, सीए (ATC), एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया महाराष्ट्र

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